राज्य सरकार के दो वर्ष पूर्ण: राजस्थान में उड्डयन प्रशिक्षण और 8 फ्लाइंग स्कूलों का संचालन

जयपुर,। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राजस्थान सरकार द्वारा उड्डयन के क्षेत्र में निरंतर कार्य किये जा रहे हैं। राज्य सरकार का सतत प्रयास है कि प्रदेश बेहतर एयर कनेक्टिविटी और अत्याधुनिक हवाई सुविधाओं के लिए देश-विदेश में अपनी पहचान बनाए। राज्य सरकार द्वारा राजस्थान उड्डयन नीति लागू करना, नए फ्लाइंग ट्रेनिंग स्कूलों का संचालन तथा हवाई अड्डों का विस्तार और विकास करने जैसे तमाम फैसलों से राजस्थान हवाई सुविधाओं के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित करेगा।
’प्रदेश में 8 नए फ्लाइंग ट्रेनिंग स्कूलों का संचालन’
राजस्थान जल्द ही उड्डयन प्रशिक्षण का प्रमुख केंद्र बनने की ओर अग्रसर है। किशनगढ़ और हमीरगढ़ में निजी फ्लाइंग ट्रेनिंग संस्थानों की स्थापना से राज्य में पायलट प्रशिक्षण और उड्डयन कौशल विकास की संभावनाएं बढ़ गई हैं। इससे प्रदेश के युवाओं को रोजगार और प्रशिक्षण के नए अवसर उपलब्ध होंगे। राज्य में गत एक वर्ष में 8 फ्लाइंग ट्रेनिंग स्कूलों के संचालन की कार्यवाही प्रारम्भ की गई है। फ्लाइंग ट्रेनिंग स्कूलों के सुगम संचालन के लिए एविएशन टरबाइन फ्यूल पर टैक्स की दर 26 प्रतिशत से कम कर 2 प्रतिशत की गई है।
राज्य के विभिन्न जिलों में हवाई पट्टियों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए इन हवाई पट्टियों को फ्लाइंग ट्रेनिंग स्कूलों के संचालन के लिए उपयोग में लाने का भी निर्णय लिया गया है। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा नीति भी बनाई गई है। इसके तहत हवाई पट्टियों के साथ लगती हुई भूमि पर हैंगर स्थापित करने के लिए दरों का निर्धारण भी किया जाएगा।
’नागरिक उड्डयन नीति से खुलेंगे निवेश के नए द्वार’
राज्य सरकार द्वारा जारी राजस्थान नागरिक उड्डयन नीति के तहत नए हवाई अड्डों के विकास को प्राथमिकता देने के साथ ही उड्डयन सुविधाओं के बेहतर उपयोग और यात्रियों व माल परिवहन के लिए बेहतर हवाई यात्रा सेवाएं देने के लिए निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। इस नीति के लागू होने से प्रदेश में उड्डयन के क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने तथा यात्री व कार्गा कनेक्टिविटी में सुधार का नया मार्ग प्रशस्त हुआ है।
नीति के तहत पहले चरण में बाड़मेर में उत्तरलाई, उदयपुर हवाई अड्डे के उन्नयन के लिए कार्य किये जाएंगे। इसके अतिरिक्त सवाईमाधोपुर में चकचौनपुरा, नागौर, भीलवाड़ा के हमीरगढ़, सिरोही के आबूरोड़, तथा श्रीगंगानगर के लालगढ़ जाटान हवाई पट्टियों के विकास के कार्य भी किये जाएंगे।
राज्य सरकार ने एयरोस्पोर्ट्स गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हवाई पट्टियों की भूमि को लीज पर उपलब्ध कराने की शर्तों को भी मंजूरी दी है। इस पहल से एडवेंचर स्पोर्ट्स, पर्यटन और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलेगा।
नागरिक उड्डयन के विभिन्न क्षेत्रों के विकास के लिए उड़ान प्रशिक्षण संगठन, विमान अनुरक्षण इंजिनियरिंग प्रशिक्षण संगठन, रख-रखाव मरम्मत व ओवरहॉल संगठन की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है। पहले चरण में झालावाड़ में उड़ान प्रशिक्षण संगठन की स्थापना की जाएगी।
’शहरों को मिलेगी बेहतर कनेक्टिविटी’
राज्य के महत्वपूर्ण शहरों को हवाई मार्ग से जोड़ने के लिए भी सार्थक प्रयास किये जा रहे हैं। जयपुर से उदयपुर, जोधपुर, बीकानेर और जैसलमेर को छोटे विमानों के माध्यम से जोड़ने की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है। इस आंतरिक कनेक्टिविटी से व्यापार, प्रशासनिक पहुंच, चिकित्सा सेवाओं और पर्यटन को विशेष लाभ मिलेगा।
’जयपुर, उदयपुर और उत्तरलाई हवाई अड्डों का विस्तार’
राज्य सरकार द्वारा राजधानी जयपुर में उड्डयन सुविधाओं के विस्तार को लेकर महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा 12,778 वर्गमीटर भूमि राज्य सरकार को आवंटित की गई है, जिस पर नया स्टेट हैंगर और वीआईपी परिसर बनाया जाएगा। वहीं उदयपुर हवाई अड्डे के विस्तार हेतु 145 एकड़ निजी भूमि का अधिग्रहण प्रगति पर है। इसके अतिरिक्त उत्तरलाई हवाई अड्डे पर नागरिक एन्क्लेव और पहुंच मार्ग के लिए लगभग 63 एकड़ भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया भी जारी है।
