हाथीपोल धर्मशाला से गणगौर घाट तक रविवार को निकलेगा वरघोड़ा
उदयपुर। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा का चातुर्मास की धूम जारी है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि शुक्रवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई।
महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में रविवार 15 सितम्बर को हाथीपोल धर्मशाला से वरघोड़ा निकाला जाएगा। जो हाथीपोल धर्मशाल से निकल कर मालदास स्ट्रीट, बड़ाबाजार, घण्टाघर, जगदीश चौक होते हुए गणगौर घाट पर पहुंचेगा वहां स्नात्र महोत्सव का आयोजन होगा। उसके पश्चित पुन: वरघोड़ा हाथीपोल स्थित धर्मशाला में पहुंचेगा। वरघोड़े में हाथी, घोड़े, बैण्ड, भगवान का रथ, ऊंट गाड़ी में शहनाई वादक, माता त्रिशला को आए 14 स्वप्न एवं उदयपुर में बिराजित सभी साधु-साध्वी चतुरविद संघ के साथ इस वरघोड़े में शामिल होंगे।
शुक्रवार को आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने महाभारत पर आधारित चातुर्मासिक प्रवचन में कहा कि मिथ्यात्व परम रोग है, मिथ्यात्व घोर अंधकार है, मिथ्यात्व भयंकर शत्रु है और मिथ्यात्व तीव्र जहर है। हिंसा आदि अठारह पाप स्थानक है। उसमें से सबसे भयंकर यदि कोई पाप है तो वह मिध्यात्व है। जब तक मिध्यात्व जीवित है, तब तक अन्य सभी पाप पुष्ट रहते हैं और यदि मिथ्यात्व मेर जाय तो सभी पाप कमजोर हो जाते है। जैसे कि जब तक आहार ग्रहण की क्रिया चालू रहती है तब तक शरीर के सभी अवयव बराबर काम करते हैं और जब आहार लेना बंद कर देते है तो शरीर कमजोर पडऩे लगता है। इसी प्रकार जब तक आत्मा मिध्यात्व के पाप का सेवन करती है तब तक हिंसा आदि सभी पाप मजबूत बनते जाते है और जैसे ही मिथ्यात्व का पाप नष्ट हो जाता है वैसेही सभी पाप धीरे-धीरे क्षीण होता जाता है। इसलिए आत्म स्वस्थता को पाने के लिए मिध्यात्व को जड़मूल से दूर करना अत्यंत ही जरूरी है।
चातुर्मास समिति के अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि इस अवसर पर कार्याध्यक्ष भोपालसिंह परमार, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, अंकुर मुर्डिया, बिट्टू खाब्या, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।