मन्नत और धर्म भिन्न-भिन्न चीज है : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर

मन्नत और धर्म भिन्न-भिन्न चीज है : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर
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उदयपुर । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा द्वारा चातुर्मास काल के दौरान महाभारत पर प्रतिदिन प्रवचन दिए जा रहे है। महाभारत के हर एक किरदार ने समाज को क्या दिशा निर्देश दिया उसके बारे में विस्तार से व्याख्या कर श्रावकों का मन मोह लिया है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि शुक्रवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। उन्होनें बताया कि रविवार 29 सितम्बर को आयड़ तीर्थ पर गीत-संगीत की मधुर स्वर लहरियों के साथ सम्मेद शिखर तीर्थ की भावयात्रा का आयोजन होगा।

नाहर ने बताया कि सोमवार को आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने महाभारत पर आधारित चातुर्मासिक प्रवचन में कहा कि भगवान के पास या गुरु के पास आप सांसारिक सुख मांगते हो तो आपका धर्म धर्म नहीं रहता किन्तु मन्नत बन जाता है। मन्नत में धर्म नहीं होता और धर्म में मन्नत नहीं होती क्योकि मन्नत रखने वाला कुछ पाने के लिए धर्म का उपयोग करता है जो कि शुद्ध आस्था से विपरित है। आचार्य ने उत्तराध्ययन सूत्र के 16 वें एवं 29वें अध्ययन के रेफरन्स बनाकर शुद्ध आस्था का स्वरूप के बारे में समझाया।

चातुर्मास समिति के अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि आयड़ तीर्थ में 9 अक्टूबर से नवपद जी की आयंबिल ओली सामूहिक रूप से मनाई जाएगी। जिसमें समग्र जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक समाज को आने का आव्हान किया।

इस अवसर पर कार्याध्यक्ष भोपालसिंह परमार, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, अंकुर मुर्डिया, बिट्टू खाब्या, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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