विश्व अण्डा दिवसः बिना मिलावट का संतुलित आहार हैं अण्डा

उदयपुर । बिना मिलावट का एक सम्पूर्ण एवं संतुलित आहार के रूप में विख्यात हैं अण्डा। “विश्व अण्डा दिवस” विश्व अण्डा संगठन द्वारा अण्डों की पोषण संबंधी लाभों और वैश्विक महत्व का उत्सव है। अण्डे के उच्च गुणवत्ता वाले पोषण गुणों जैसे प्रोटीन, विटामिन एवं आवश्यक अमीनो एसिड को बढ़ावा देता है। अक्टूबर के दूसरे शुक्रवार को मनाया जात है। अण्डे के सेवन के प्रति व्याप्त आम भ्रांतियो को दूर कर किफायती भोजन के रूप में उसके महत्व को वैश्विक स्तर पर मनाने के लिये हर साल आयोजित किया जाता है।
यह सम्बोधन संस्थान के उपनिदेशक डॉ. सुरेन्द्र कुमार छंगाणी ने विश्व अण्डा दिवस पर पशुपालन डिप्लोमा विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा। डॉ. छंगाणी के अनुसार राजस्थान में प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 38 अण्डों की उपलब्धता है। जबकि वह वर्ष 2023 में देश में 101 प्रति व्यक्ति प्रत्ति वर्ष उपलब्धता थी। भारत अण्डे उत्पादन में विश्व में दूसरे स्थान पर है सालाना 192 अरब से ज्यादा अण्डे उत्पादित होते है। कम पूंजी से भी प्रारम्भ किये जाने वाले इस व्यवसाय की राजस्थान में अत्यधिक सम्भावनाएं हैं एवं युवा वर्ग मुर्गीपालन का उन्नत प्रशिक्षण प्राप्त कर इस व्यवसाय को गंभीरता से लेने को कहा।
संस्थान के डॉ. ओमप्रकाश साहु ने कहा कि अण्डे में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन एवं कैल्शियम पाया जाता है, जो कि शारीरिक वृद्धि के लिए नितान्त आवश्यक है। डॉ. साहु ने कहा कि इस वर्ष की थीम “द माईटी एगः पैक्ड विद नैचुरल न्यूट्रिशन” यह एक सम्पूर्ण आहार एवं पौष्टिकता प्राप्त करनें का सबसे सस्ता विकल्प हैं।
डॉ. पद्मा मील ने कहा कि घर के पिछवाड़े में मुर्गीपालन कर उन्नत प्रबंधन से मुर्गीपालन व्यवसाय को रोगों से मुक्त रख, नियमित रूप से अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता हैं। पशुपालन के डिप्लोमा के विद्यार्थियों पर मुर्गीपालन के व्यवसाय पर व्यापक प्रचार प्रसार पर जोर दिया एवं रोगों से बचाव हेतु टीकाकरण पर विस्तृत चर्चा की।
