कर लो नेकी, देखा-देखी
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कर सको तो कर लो नेकी,
किसी की भी देखा-देखी।
अपने सद्कर्मों से रिझाओं,
दिल के अंदर तक समाओ।
भले ही रूपया ना कमाओ,
व्यवहार से झॉकी जमाओ!
यूँ प्रेम तुम सभी का पाओं।
कर सको तो कर लो नेकी,
किसी की भी देखा-देखी।
न दुखाओ किसी का दिल,
यूँ बोलों विचार जाए मिल।
जीवन न बन जाए बोझिल,
कहों सभी से हँस के मिल!
मन प्रफुल्लित होकर खिल।
कर सको तो कर लो नेकी,
किसी की भी देखा-देखी।
ईर्ष्या नहीं प्रतिस्पर्धा करो,
यूँ लम्हाँ-लम्हाँ बढ़ते चलों।
स्नेह का बंधन भी बांॅध लो,
हाथ यूॅ किसी का थाम लो!
बस एक जिंदगी संवार दो।
संजय एम तराणेकर
(कवि, लेखक व समीक्षक)
इन्दौर-452011 (मध्यप्रदेश)
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