अब न रही सुरक्षित अस्थियां...?



अब तो न रही सुरक्षित अस्थियां,

शराबी, बोतल और अगरबत्तियॉ।

हो रहे मुक्तिधाम भी अब शिकार,

लो पनपा अमानवीय कृत्य विकार।

शराबी अस्थियां भी रहे है डकार,

बचाओ इन्हें करो कोई चमत्कार।

अब तो न रही सुरक्षित अस्थियां,

शराबी, बोतल और अगरबत्तियॉ।

अब हम कहाँ करें अंतिम संस्कार,

यहाँ नहीं सुरक्षित हुआ व्यभिचार।

पुलिस व प्रशासन कर रहा विचार,

अस्थियों की करें रक्षा बढ़ाएं प्यार।

अब तो न रही सुरक्षित अस्थियां,

शराबी, बोतल और अगरबत्तियॉ।

अस्थियों बिन कैसे हो रस्म अदा,

शराबी तो हो गए उस पर फिदा।

आमजन मुक्तिधाम में यदा-कदा,

कर्मियों अस्थियां मिले करो वादा।

Next Story