चढ़ रहा मजदूर जान से खिलवाड़ कर...!

व्यस्ततम मार्ग में विद्युत के पोल पर,
चढ़ रहा मजदूर जान से खिलवाड़ कर।
चंद कदमों दूरी पर महत्व के कार्यालय,
कलेक्टर भवन, पुलिस अधीक्षक निर्भय।
बिन सुरक्षा मजदूरों को करते देखा कार्य,
ठेकेदार भी नीडर बड़ा देख रहा है स्वार्थ।
व्यस्ततम मार्ग में विद्युत के पोल पर,
चढ़ रहा मजदूर जान से खिलवाड़ कर।
चंद रूपयों के लिए उसकी मजबूरी है,
घर चलाना है तो रोजगार भी जरूरी है।
कौनसी सुरक्षा और कौनसे है उपकरण,
मजदूर का सदा से होता रहा है मरण।
व्यस्ततम मार्ग में विद्युत के पोल पर,
चढ़ रहा मजदूर जान से खिलवाड़ कर।
वह कैसे करें पालन-पोषण और निर्वहन,
जान सदा संकट में होती,नहीं निस्तारण।
चढ़ाओं ना खंबे पर, ना करो खिलवाड़,
जान बचे मजदूरों की खुले करो किवाड।
दो सबको सुरक्षा उपकरण यहीं है दरकार!
(संदर्भः लोकदेश-मजदूर की जान से खिलवाड़ कर बिना सुरक्षा के चढ़ाया जा रहा खंबे पर)
संजय एम तराणेकर