नारी को सम अधिकार चाहिए

पूजा नहीं पुरूष के सम, नारी को अधिकार चाहिए।
दिल में ईज्जत, आंखों में सत्कार चाहिए॥
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नारी के बिना नर की, दुनिया ये अधूरी है।
मातृशक्ति ही तो, इस जीवन की धूरी है॥
जग को जननी का, मानना उपकार चाहिए।
पूजा नहीं पुरूष के सम, नारी को अधिकार चाहिए॥
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खानपान और पहनावे में, अब करिए न लिंगभेद ।
दकियानूसी सोच में, न नारी को करिए कैद ॥
जग में नारी की भूमिका, करनी हमें स्वीकार चाहिए।
पूजा नहीं पुरूष के सम, नारी को अधिकार चाहिए॥
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नारी को भी दीजिए, पुरूष के समान शिक्षा।
हक संविधान देता है, समझे न इसको भिक्षा॥
रूढिवादी सोच को, करना अब धिक्कार चाहिए।
पूजा नहीं पुरूष के सम, नारी को अधिकार चाहिए॥
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रूढ़िवादी लोग, नारी को समझते कमतर है।
सृजन में नारी मगर, पुरुषों से ज़्यादा बेहतर है॥
सच को सारे मान लें, करना नहीं इनकार चाहिए।
पूजा नहीं पुरूष के सम, नारी को अधिकार चाहिए॥
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नारी बिना जगत में, नर का हुआ न भला।
शक्तिपुंज है नारी, कभी न कहिए अबला ॥
शक्तिस्वरूपा नारी को, कहना अब दमदार चाहिए।
पूजा नहीं पुरूष के सम, नारी को अधिकार चाहिए॥
टीकम "अनजाना"