आत्म-रक्षा के संस्कार दीजिए...!

आत्म-रक्षा के संस्कार दीजिए...!
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कन्याओं को ऐसे ही न पूजिए।

आत्म-रक्षा के संस्कार दीजिए।

बेटियों साथ हो कभी छेड़छाड़,

चेतना जगाने की ले लो आड।

शिक्षा का स्तर बढ़ा यू बढ़ाओ,

न हो यौन शोषण साथ आओ।

कन्याओं को ऐसे ही न पूजिए।

आत्म-रक्षा के संस्कार दीजिए।

खूब जिमाओ, वस्त्रादि दो भेंट,

मानसिक व शारीरिक करों सेट।

कराओ अवगत उन्हें गुड-बेडटच,

पापी व बलात्कारी न जाये बच।

कन्याओं को ऐसे ही न पूजिए।

आत्म-रक्षा के संस्कार दीजिए।

कन्याओं में ऐसी शक्ति जगाएँ,

अधर्मीै चाहकर भी छू ना पाएँ।

पेरेंट्स पुत्रों को ये सबक सिखाएँ,

शीलभंग का उन्हें भी डर बैठ जाएँ।

संजय एम तराणेकर

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