जगरातों की अथाह विजय...

जगरातों की अथाह विजय...
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इंद्रियों का संयम, आध्यात्मिक शक्ति संचय,

‘नवरात्रि व्रत‘ जगरातों की हैं अथाह विजय।

ये वातावरण छाया हुआ विचारों का प्रदूषण,

अपने अंर्तमन की ऊर्जा जगाना ही विशेषण।

अब देवी माँ उपासना का मुख्य यहीं प्रयोजन,

मानसिक,शारीरिक,आध्यात्म शक्ति योजन।

इंद्रियों का संयम, आध्यात्मिक शक्ति संचय,

‘नवरात्रि व्रत‘ जगरातों की हैं अथाह विजय।

चौत्र नवरात्रि रामजन्म व रामराज्य स्थापना,

करते शक्ति की पूजा, आराधना-अनुमोदना।

इस नवरात्र का महत्व होता रहा हैं सर्वाधिक,

सर्दी व गर्मी ऋतुओं का मिलन काल अधिक।

इंद्रियों का संयम, आध्यात्मिक शक्ति संचय,

‘नवरात्रि व्रत‘ जगरातों की हैं अथाह विजय।

नवरात्रि में भुवाल माताजी के है नौ स्वरूप,

शक्ति स्वरूपा की पूजा की जाती है नवरूप।

जब प्रकृति में एक अलग होती विशिष्ट ऊर्जा,

आत्मसात करते व्यक्ति दे रहें माता को दर्जा।

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