भाल पे लगा चंदन-वीर सपूत को वंदन

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🪐पैदा ना होता वो वीर जांबाज बहादुर,तो खुशियों का सिलसिला नहीं होता।
🪐 बेरंग रह जाती रायसिंहनगर की माटी,आसमान का रंग नीला नहीं होता।
🪐अरे,शहादत के पन्नों में,जीनगर शहीद का नाम नहीं होता मेरे यारों,
🪐अगर शहीद बीरबल सिंह ढालिया जैसा शूरवीर,हमको मिला ना होता।
🪐खाली रह जाता जीनगर इतिहास,वीर अमर शहीद का नाम दर्ज ना होता।
🪐पैदा ना होता राजस्थान का लाल,तो गंगानगर में 'शहीद बीरबल चौक' ना होता।
🪐एकमात्र जीनगर कुर्बान ना होता तो पुण्यतिथि पर "शहीद का मेला" ना होता।
🪐बीकानेर प्रजा परिषद का सदस्य ना होता,तो सामंतियो का अंत ना होता।
🪐अपने प्राण की आहुति ना देता,तो पुण्यतिथि का सिलसिला ना होता।
🪐जून तीस सन् छियालीस का दिन ना होता,तो 'अमर रहे का जयघोष'ना होता।
राजकुमार पंवार 'राज' लेखक एवं साहित्यकार मंदसौर (म०प्र०)
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