इंसानियत कितनी खो गई


इस कलयुग के जमाने में इंसानियत कितनी खो गई।

जीवन भर जिसको आंचल में पाला,

जिसकी जिद्द के आगे पिता ने अपना सब कुछ खत्म कर डाला,

वो बैठी भी किसी लड़के के साथ भाग कर किसी ओर की हो गई,

इस कलयुग के जमाने में, इंसानियत कितनी खो गई।

बैठा भी कहा सुनता है पिता की बात,

ज्यादा बोले तो मारे घुसता और लात,

मंदिरों में छप्पन भोग चढ़ाता है,

घर में बैठा बापू रोटी के लिए तरस जाता है,

अरे कही! बार मां भूखे पेट ही सो गई,

इस कलयुग के जमाने में इंसानियत कितनी खो गई,

जीवन के अहम हिस्सो पर, मोबाइल ने जगह बना ली,

दिमाग को क्यों उपयोग करे, सॉफ्टवेयर ने कमान संभाली,

रोना, हंसना, हाव,भाव,सब इमोजी में आ गए,

गन्दे, गलत और बेशर्म वीडियो, सोशल मीडिया पर छा गए,

स्क्रीन के सामने आंखो को सुबह से रात हो गई,

इस कलयुग के जमाने में इंसानियत कितनी खो गई,

राजा बाबू सैनी

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