लोक कवि मण्डेला की स्मृति में राष्ट्रीय बाल साहित्य पुरस्कार ओडिशा के विरंचीनारायण दास को प्रदान

लोक कवि मण्डेला की स्मृति में राष्ट्रीय बाल साहित्य पुरस्कार ओडिशा के विरंचीनारायण दास को प्रदान
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शाहपुरा पेसवानी । साहित्यिक परंपराओं और बाल साहित्य की उन्नति के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान के रूप में, प्रतिष्ठित राष्ट्रीय बाल साहित्य पुरस्कार इस वर्ष ओडिशा के सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री विरंचीनारायण दास-कांताबाजी को प्रदान किया गया। यह पुरस्कार लोक कवि मोहन मण्डेला की स्मृति में स्थापित किया गया है, जो राजस्थानी भाषा और बाल साहित्य के क्षेत्र में अपने अद्वितीय योगदान के लिए जाने जाते थे। साहित्य सृजन कला संगम के संस्थापक और राजस्थानी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर मोहन मण्डेला के नाम से यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष उन साहित्यकारों को दिया जाता है, जिन्होंने बाल साहित्य के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान दिया है।

गुलाबपुरा में आयोजित 25वें राष्ट्रीय बाल साहित्य संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह के दौरान प्रदान किया गया। बाल वाटिका के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में देश के 12 प्रांतों से आए बाल साहित्यकारों ने भाग लिया। समारोह में बाल साहित्य की समकालीन दिशा और दशा पर गहन विचार-विमर्श किया गया और विभिन्न सत्रों में साहित्यकारों ने अपने विचार साझा किए।

समारोह में नगर विकास न्यास भीलवाड़ा के पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण डाड ने मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित होकर कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की। इसके अलावा रामस्नेही संत अर्जुन राम महाराज, बाल वाटिका के संपादक डॉ. भैरूं लाल गर्ग, मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी लोकेश नागला, वरिष्ठ बाल साहित्यकार लता अग्रवाल-भोपाल, और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि एवं केन्द्रीय साहित्य अकादमी से पुरस्कृत साहित्यकार डॉ. कैलाश मण्डेला भी कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इन प्रमुख व्यक्तित्वों ने बाल साहित्य के महत्व को रेखांकित करते हुए इसके विकास में नई संभावनाओं पर प्रकाश डाला।

ओडिशा के श्री विरंचीनारायण दास को इस वर्ष का राष्ट्रीय बाल साहित्य पुरस्कार प्रदान कर उन्हें बाल साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया। बाल वाटिका के संपादक डॉ. भैरूंलाल गर्ग की प्रेरणा से प्रारंभ किए गए इस पुरस्कार का उद्देश्य बाल साहित्य के क्षेत्र में रचनात्मकता और नवाचार को बढ़ावा देना है। श्री दास की कृतियों ने न केवल ओडिशा के बाल साहित्य को समृद्ध किया है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी बच्चों के साहित्य में एक विशेष स्थान बनाया है।

लोक कवि मोहन मण्डेला की स्मृति में यह पुरस्कार शुरू किया गया, जो बाल साहित्य और लोक साहित्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्तंभ माने जाते थे। उनकी साहित्यिक धरोहर को जीवित रखने और नई पीढ़ी के साहित्यकारों को प्रेरित करने के उद्देश्य से इस पुरस्कार की स्थापना की गई थी। राजस्थान सरकार द्वारा स्थापित श्री जवाहरलाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी जयपुर ने भी उनके नाम पर नियमित पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की थी, जो इस दिशा में एक और कदम था।

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