शाहपुरा को जिला बनाने की मांग पर पुनः उठी आवाज: संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री के नाम सौंपा पांचवां स्मरण पत्र

शाहपुरा (मूलचन्द पेसवानी)। शाहपुरा को पुनः जिला घोषित कराने की मांग एक बार फिर तेज हो गई है। अभिभाषक संस्था शाहपुरा के तत्वावधान में **जिला बचाओ संघर्ष समिति** ने मंगलवार को मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार के नाम पांचवां स्मरण पत्र उपखंड अधिकारी शाहपुरा को सौंपा।इस दौरान समिति के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री को पूर्व में दिए गए आश्वासन की याद दिलाई और कहा कि अब जनता का धैर्य जवाब दे रहा है। “शाहपुरा को जिला बनाना अब सरकार की जिम्मेदारी है,” समिति ने कहा।
मुख्यमंत्री के आश्वासन की याद
संघर्ष समिति के महासचिव कमलेश मुंडेतिया के नेतृत्व में सौंपे गए स्मरण पत्र में बताया गया कि मुख्यमंत्री ने जयपुर में शाहपुरा विधायक की मौजूदगी में प्रतिनिधिमंडल से वार्ता के दौरान शाहपुरा को जिला बनाने का सकारात्मक आश्वासन दिया था।
जनता के बीच यह घोषणा विश्वास की तरह थी, लेकिन पांच माह बीत जाने के बावजूद सरकार ने अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया , जिससे लोगों में गहरा आक्रोश व्याप्त है।
मुंडेतिया ने कहा कि शाहपुरा का जिला दर्जा सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि जनहित और प्रशासनिक सुविधा से जुड़ा मुद्दा है। शाहपुरा क्षेत्र के लगभग 250 से अधिक गांव भीलवाड़ा जिले के अधीन हैं, जिससे आमजन को छोटी-छोटी सरकारी सेवाओं के लिए भी दूर भीलवाड़ा जाना पड़ता है।
उन्होंने याद दिलाया कि 2023 में जब राज्य सरकार ने नए जिलों की घोषणा की थी, तब शाहपुरा को जिला घोषित किया गया था , लेकिन बाद में उसे रद्द कर दिया गया — जो जनता के साथ अन्याय है।
आंदोलन का एलान
स्मरण पत्र के दौरान सभी सदस्यों ने एक स्वर में कहा कि जब तक शाहपुरा को पुनः जिला घोषित नहीं किया जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
समिति ने चेतावनी दी कि अगर सरकार शीघ्र सकारात्मक निर्णय नहीं लेती है, तो बड़े स्तर पर जनआंदोलन किया जाएगा।
जनभावनाओं में उबाल
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि शाहपुरा को जिला बनाने से विकास कार्यों को नई दिशा मिलेगी । वर्तमान में प्रशासनिक दूरी और संसाधनों की कमी से क्षेत्र के विकास की गति प्रभावित हो रही है।लोगों का कहना है कि शाहपुरा में भौगोलिक स्थिति, जनसंख्या और संसाधनों के आधार पर जिला बनने की पूरी पात्रता है।
अधिवक्ताओं और व्यापारिक संगठनों का समर्थन
अभिभाषक संस्था शाहपुरा और व्यापारी संगठनों ने भी इस मांग का समर्थन किया है।
अभिभाषक संस्था के अध्यक्ष ने कहा कि यह मुद्दा सिर्फ राजनीति का नहीं बल्कि जनता के अधिकार और प्रशासनिक सुविधा से जुड़ा है।
व्यापारिक संगठनों ने कहा कि जिले का दर्जा मिलने से क्षेत्र में व्यवसायिक गतिविधियों को प्रोत्साहन , निवेश और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
समिति की चेतावनी
जिला बचाओ संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि शाहपुरा की जनभावनाओं का सम्मान करते हुए इसे शीघ्र जिला घोषित किया जाए ।
समिति ने कहा कि यदि आने वाले दिनों में सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो आंदोलन को राज्यव्यापी स्वरूप दिया जाएगा और धरना-प्रदर्शन व जनजागरण अभियान चलाया जाएगा।
शाहपुरा के विकास का सवाल
समिति के अनुसार शाहपुरा क्षेत्र ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है। अजमेर, भीलवाड़ा और जयपुर के मध्य इसकी समान दूरी इसे एक आदर्श जिला मुख्यालय बनाती है।
क्षेत्र में शिक्षा, चिकित्सा, कृषि और पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, जिन्हें जिला बनने से गति मिलेगी।
अंत में महासचिव कमलेश मुंडेतिया ने कहा —
“शाहपुरा की जनता ने जिस विश्वास के साथ संघर्ष समिति का साथ दिया है, वही हमारी शक्ति है। यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक शाहपुरा को जिला घोषित नहीं किया जाता।” उपस्थित नागरिकों ने शाहपुरा जिला बनाओ – जनता का वादा निभाओ ” के नारे लगाकर पूरे परिसर को आंदोलन के रंग में रंग दिया।
