शाहपुरा की मालिनी वाटिका में गूंजे कृष्ण जन्मोत्सव के जयकारे, पंचम दिवस पर सजी दिव्य भागवत कथा

शाहपुरा (मूलचन्द पेसवानी)। शाहपुरा की मालिनी वाटिका में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस का दृश्य ऐसा प्रतीत हुआ मानो द्वापर युग स्वयं धरती पर उतर आया हो। जैसे ही रात्रि के बारह बजे का मंगल क्षण समीप आया, पूरा पंडाल “नंद के आनंद भयो, जय कन्हैयालाल की” के गगनभेदी जयकारों से गूंज उठा। झांकियों में सजे बाल गोपाल, भक्तों की नम आंखें और माखन-मिश्री की सुगंध से वातावरण पूरी तरह कृष्णमय हो गया।
कान्हा के प्राकट्य के साथ ही कथा स्थल नंदगांव सा प्रतीत होने लगा। भक्तों ने एक-दूसरे को बधाइयां दीं, टॉफियां बांटी गईं और बालकृष्ण को माखन का भोग अर्पित किया गया। कथावाचक ने प्रेमपूर्वक बालकृष्ण का स्वागत कर उनका मुंह मीठा कराया, मानो स्वयं यशोदा मैया ने अपने लाल को गोद में लिया हो।
कथा का शुभारंभ मथुरा के सुप्रसिद्ध कथावाचक पंडित अरुणाचार्य जी महाराज ने दीप प्रज्ज्वलन और आरती-वंदना के साथ किया। आयोजक यजमान डॉ. कमलेश पाराशर ने विधिवत श्रीमद् भागवत का पूजन कर कथा के आध्यात्मिक प्रवाह को आगे बढ़ाया।
पंडित अरुणाचार्य महाराज ने भावविभोर कर देने वाले शब्दों में कहा कि जब-जब धरती पर भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाता है, तब स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं और समस्त देवी-देवता उस दिव्य लीला के साक्षी बनने अवश्य आते हैं। जब पृथ्वी पापियों के बोझ से कराह उठी, तब देवताओं की करुण पुकार पर श्रीहरि ने कृष्ण रूप में अवतार लेने का वचन दिया।
कथावाचक ने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का रसपान कराते हुए बताया कि जन्म के कुछ ही दिनों में पूतना और शकटासुर का वध, कालिया नाग का दमन तथा सात वर्ष की आयु में गोवर्धन पर्वत उठाकर इंद्र के अहंकार का मर्दन—ये सभी लीलाएं अधर्म पर धर्म की विजय का संदेश देती हैं। गीता के उपदेशों के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण ने कर्मयोग का अमृत देकर मानवता को जीवन का सच्चा मार्ग दिखाया।
कृष्ण जन्मोत्सव की इस दिव्य बेला में मालिनी वाटिका भक्ति, आनंद और आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर नजर आई। हर श्रद्धालु के मन में एक ही भाव था—कृष्ण ही जीवन हैं और कृष्ण ही सत्य हैं।
