गोचर भूमि पर अतिक्रमण से उबाल, कोडलाई में प्रशासनिक निष्क्रियता के खिलाफ जन आंदोलन की चेतावनी

भीलवाड़ा हलचल । बनेड़ा उपखंड के ग्राम कोडलाई में गोचर भूमि पर वर्षों से चले आ रहे अतिक्रमण को लेकर ग्रामीणों का आक्रोश अब चरम पर पहुंच गया है। ग्रामीणों और गौ सेवकों का कहना है कि यह मामला अब केवल जमीन का नहीं रहा, बल्कि प्रशासन की लापरवाही और उदासीन रवैये का प्रतीक बन चुका है। बार बार शिकायतों और जनसुनवाई में मुद्दा उठाए जाने के बावजूद आज तक अतिक्रमण हटाने की कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
ग्रामीणों के अनुसार उपखंड अधिकारी, तहसीलदार, विकास अधिकारी और जिला कलेक्टर को ज्ञापन और आवेदन दिए गए, लेकिन हर बार केवल आश्वासन ही मिले। आरोप है कि पिछले एक वर्ष से प्रशासन समय टालने का रवैया अपनाए हुए है, जबकि गोचर भूमि पर अवैध कब्जे लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इससे पशुओं के लिए चारागाह का संकट गहराता जा रहा है और गौ माता को भोजन की कमी, सड़क दुर्घटनाओं और असमय मौत का सामना करना पड़ रहा है।
हाल ही में बनेड़ा में हुई जनसुनवाई के दौरान ग्रामीणों और गौ सेवकों ने एक स्वर में कहा कि यदि शीघ्र ही गोचर भूमि को अतिक्रमण मुक्त नहीं किया गया तो आंदोलन का रास्ता अपनाया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि धरना प्रदर्शन, चक्काजाम और व्यापक जन आंदोलन की तैयारी की जाएगी। ग्रामीणों का कहना है कि आंदोलन शांतिपूर्ण होगा, लेकिन पूरी तरह निर्णायक रहेगा और आवश्यकता पड़ने पर इसे उपखंड से लेकर जिला और राज्य स्तर तक ले जाया जाएगा।
ग्रामीणों ने यह भी कहा कि अब तक सभी संवैधानिक और प्रशासनिक रास्ते अपनाए जा चुके हैं, इसलिए आंदोलन के दौरान उत्पन्न किसी भी स्थिति की जिम्मेदारी प्रशासन और सरकार की होगी। बैठक के दौरान शिवनंदन कुमावत, मोनू सिंह, दशरथ कुमावत, विनोद कुमावत, बाबू भोई, अरमान सहित बड़ी संख्या में गौभक्त और ग्रामवासी मौजूद रहे, जिन्होंने एकजुट होकर संघर्ष का संकल्प लिया।
कोडलाई गांव से उठ रही यह आवाज अब पूरे शासन तंत्र के लिए सवाल बन गई है कि क्या प्रशासन अब भी मूकदर्शक बना रहेगा या जनता को न्याय के लिए सड़कों पर उतरना पड़ेगा।
