ठा.जोरावर सिंह बारहठ की 141 वी जयंती पराक्रम दिवस के रूप में मनाई
शाहपुरा (भैरू लाल लक्षकार) । देवखेड़ा शाहपुरा के महान क्रांतिकारी वीरवार जोरावर सिंह बारहठ की गुरुवार 141 वी जयंती को संस्थान द्वारा पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। इस अवसर पर प्रातः 9 बजे त्रिमूर्ति बारहठ स्मारक शाहपुरा पर संस्थान के पदाधिकारी एवं सदस्य गणों द्वारा माल्यार्पण कर बारहठ क्रांतिविरो को श्रद्धांजली अर्पित की।महान क्रांतिकारी जोरावर सिंह बारहठ के होर्डिंग पर बम प्रहार के उनके अतुलनीय साहस को रेखांकित करते हुए। संस्थान सचिव कैलाश सिंह जाड़ावत ने कहा की, जिन अंग्रेजो के राज में कभी सूर्य अस्त नही होता था, उस ताकत को शाहपुरा के वीर जोरावर सिंह ने ललकारा था। अंग्रेज लाख कोशिश के बाद भी उन्हें नही पकड़ सके, उन पर उस समय भी 12500 रु का इनाम रखा था। आजाद जिसके पथ गामी बने, जिन्हे बाद में राजस्थान का चंद्रशेखर कहा जाने लगा था।
संस्थान द्वारा नगर पालिका बोर्ड का आभार जताया गया ,उनके द्वारा बारहठ स्मारक पर शानदार व्यवस्था और पालिकाध्यक्ष रघुनंदन सोनी के दोनो कार्यकाल में स्मारक का जीर्णोदार और सौंदर्यकरण हुआ है।आज का इतिहास भी पराक्रम का रहा हे। आज का इतिहास , जोरावर सिंह बारहठ की 12 सितंबर जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मानना तय किया है । क्यो कि 12 सितंबर 1897 के दिन सारागढ़ी चौकी पर 14 हजार पठानों ने हमला कर दिया था। चौकी पर तैनात 21 सिख जवानो ने 6 घंटे के युद्ध में 600 पठानों को मार गिराया।
जब महारानी विक्टोरिया को पता चला तो मरणोपरांत सभी जवानों को इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरियाड से सम्मानित किया। आज ही के दिन 12 सितंबर को होर्डिंग पर बम फेंक कर अंग्रेजो की चुले हिलादी थी । ऐसे महान क्रांतिकारी जोरावर सिंह बारहठ की जयंती को हम सभी पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का निश्चय किया है।शंकरलाल जोशी, कैलाश चारण, जगदीश प्रसादपारीक,सत्यनारायण सेन, सुरेश घुसर,बसंत वैष्णव, रामप्रसाद सेन, आदि ने पुष्पांजली अर्पित की।
15 सितंबर को भीलवाड़ा बारहठ स्मारक पर आयोजित पराक्रम दिवस कार्यक्रम में संस्थान द्वारा ,एक पेड़ मां के नाम और नारी शक्ति वंदन के उद्देश्यों के साथ पराक्रम यात्रा की जानकारी दी गई। उस दिन नगर के गणमान्य नागरिक एवं अधिकारी गण झंडी दिखा कर भीलवाड़ा के लिए, पराक्रम यात्रा को प्रस्थान करेंगे।