देवखेड़ा में चारागाह विकास का संकल्प, ग्रामीणों ने निकाली रैली और किया पौधरोपण

देवखेड़ा में चारागाह विकास का संकल्प, ग्रामीणों ने निकाली रैली और किया पौधरोपण
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शाहपुरा-पेसवानी । सुविचार अभियान के अंतर्गत चारागाह विकास हेतु शाहपुरा के क्रांतिकारी केसरीसिंह बारहठ के देवखेड़ा में अनूठा कार्यक्रम आयोजित किया गया। आयोजन अपना संस्थान, एफईएस., सरोज देवी फाउंडेशन भीलवाड़ा तथा गोयल अनुसंधान केंद्र कोटा के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। इसका उद्देश्य गांव में चारागाह संरक्षण और विकास को लेकर जागरूकता फैलाना तथा ग्रामवासियों को इस दिशा में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित करना था।

कार्यक्रम की शुरुआत गांव की महिलाओं और पुरुषों ने ढोल की थाप पर गीत गाते हुए रैली निकालकर की। रैली गांव के मुख्य मार्गों से होती हुई चारागाह क्षेत्र तक पहुंची। यहां ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से चारागाह की परिक्रमा की और उसके विकास का संकल्प लिया। इस अवसर पर सरपंच प्रतिनिधि आसाराम धाकड़ ने बताया कि चारागाह स्थल पर भूमि पूजन, वृक्ष पूजन और जल पूजन का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि ग्रामवासियों ने सुविचार अभियान की टोली और ग्राम के प्रमुख व्यक्तियों की उपस्थिति में बरगद का वृक्ष लगाया और इसके साथ ही गौ संरक्षण, जल संरक्षण तथा रसायन मुक्त खेती की दिशा में मिलकर काम करने का संकल्प लिया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सुविचार जिला संयोजक गुदड़मल गुर्जर ने कहा कि आज की पीढ़ी को अपने परंपरागत प्राकृतिक स्रोतों की ओर लौटना होगा। उन्होंने चारागाह को गांव के जीवन का आधार बताते हुए कहा कि यदि गांव को समृद्ध बनाना है तो सबसे पहले चारागाह का संरक्षण और विकास आवश्यक है। इसी क्रम में जिला सहसंयोजक परमेश्वर प्रसाद कुमावत ने सुविचार अभियान और भीलवाड़ा में होने वाले आगामी सम्मेलन के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि चारागाह विकास ही वास्तविक ग्राम विकास की संकल्पना को पूर्ण कर सकता है।

एफईएस. के प्रतिनिधि सुरेश पाराशर ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार भी चारागाह विकास को प्राथमिकता दे रही है। चारागाह भूमि को सुरक्षित और विकसित करने के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं, लेकिन इन योजनाओं को सफल बनाने के लिए जनभागीदारी सबसे अहम है। उन्होंने कहा कि गांव की समृद्धि और आत्मनिर्भरता का रास्ता चारागाहों से होकर ही गुजरता है।

इस अवसर पर पर्यावरण प्रेमी दिलीप वैष्णव ने ग्रामीणों से अपील की कि वे चारागाहों को बचाने के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर प्रयास करें। उन्होंने कहा कि चारागाह केवल मवेशियों के लिए चारे का स्रोत नहीं बल्कि गांव के पर्यावरण और जल संरक्षण की भी आधारशिला हैं। चारागाह समिति की अध्यक्ष नंदू देवी भील ने कहा कि महिलाएं इस अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। उन्होंने उपस्थित सभी महिलाओं से आग्रह किया कि वे घर-घर जाकर चारागाह संरक्षण और जल बचाने का संदेश दें।

कार्यक्रम में उपस्थित रामदेव गुर्जर, भेरूलाल बेरवा, रमन बेरवा, मोहन सिंह, खेमजी गाडरी, दुर्गालाल खारोल, राजूलाल गाडरी, सत्यनारायण गाडरी, नाथू भील, नानाराम भील, मिश्रीलाल गाडरी, उग्माजी गाडरी, सुनिता वैष्णव, सीमा खारोल, जसोदा, लाली, प्रेम, रज्जी, सोनू गाडरी, मीरा वैष्णव, राधा खारोल, रामू सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई। अंत में सरपंच प्रतिनिधि आसाराम धाकड़ ने सभी आगंतुकों और ग्रामीणों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि गांव की चारागाह भूमि को विकसित करना आने वाली पीढ़ियों के लिए सबसे बड़ा उपहार होगा।

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