शाहपुरा वन कांड:: उपवन संरक्षक सहित तीन अधिकारियों पर गिरी गाज, निलंबित

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भीलवाड़ा हलचल। जिले के शाहपुरा क्षेत्र के बोहड़ा में 800 बीघा जंगल को चौतरफा तबाह करने के गंभीर मामले में उप बीवी संरक्षक शीत तो न अधिकारियों पर गाज गिरी हे तीनों को निलंबित कर दिया हे ।कोयला माफिया पीक मोहम्मद का मामला अब बड़ा विस्फोट बन चुका है।जांच आगे बढ़ी तो वन विभाग और राजनीतिक संरक्षण की मिलीभगत की परतें खुलती चली गईं।
🌑 रातों-रात 15 JCB से 80 बीघा जंगल का सफाया!
5 नवंबर की रात को पीक मोहम्मद 15 जेसीबी लेकर जंगल में घुसा और देखते ही देखते 80 0 बीघा जंगल नेस्तनाबूद कर डाला।
सुबह ग्रामीणों और फॉरेस्टर विश्राम मीणा को पता चला तो जंगल में मोर्चा खोल दिया।अधिकारियों को सूचना दी गई, लेकिन… 'कार्रवाई' नहीं, 'आना-कानी' हुई!
ग्रामीणों और फॉरेस्टर ने रेेंजर प्रभूलाल ACF पायल माथुर को सूचना दी, लेकिन दोनों ने टाल-मटोल किया।ACF पायल माथुर दो दिन बाद मौके पर पहुँचीं।
इसी अनदेखी पर ग्रामीणों का आरोप है कि जंगल को उजाड़ने की पूरी साजिश वन विभाग की मिलीभगत से रची गई।
💥 बड़ा खुलासा: IAS नहीं, IFS अफसर भी घेरे में
वन विभाग के जिले के शीर्ष अधिकारी IFS गौरव गर्ग पर भी शक की सुई गई, क्योंकि वे ट्रेनिंग में थे ,फिर भी उनकी भूमिका पर विभाग ने संदेह जताया और निलंबित कर दिया।
कुछ ही घंटों बाद एक और आदेश आयाACF पायल माथुर और MTS मुन्नी चौधरी भी निलंबित!
मुख्य आरोपी अब तक गिरफ्तार नहीं!
अब
सबसे चौंकाने वाली बात— मुख्य आरोपी पीक मोहम्मद अब तक गिरफ्तार नहीं हुआ।गिरफ्तारी होने पर उसके बयान कई बड़े राजनीतिक और विभागीय चेहरों की भूमिका और साजिश को सामने ला सकते हैं।
शाहपुरा का 800 बीघा जंगल सिर्फ कोयला माफिया ने नहीं, बल्कि सिस्टम की मिलीभगत ने खत्म किया है।अब असली खेल गिरफ्तारी के बाद उगलेगा।
