बोरडा बावरियान विद्यालय में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का समापन, जीवनविज्ञान दिवस मनाया

बोरडा बावरियान विद्यालय में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का समापन, जीवनविज्ञान दिवस मनाया
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शाहपुरा मूलचंद पेसवानी |शाहपुरा उपखण्ड के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय बोरडा बावरियान में अणुव्रत समिति शाहपुरा के तत्वावधान में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के सप्तम दिवस को जीवनविज्ञान दिवस के रूप में मनाया गया। इसी के साथ अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का समापन हुआ। कार्यक्रम में विद्यार्थियों, शिक्षकों और अणुव्रत कार्यकर्ताओं ने सहभागिता कर जीवन विज्ञान के सिद्धांतों को आत्मसात करने का संकल्प लिया।

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में संस्था के पूर्व अध्यक्ष तेजपाल उपाध्याय ने कहा कि अणुव्रत केवल संकल्पों का समूह नहीं, बल्कि जीवन के रूपांतरण का माध्यम है। इसके छोटे-छोटे संकल्प समाज और व्यक्ति दोनों में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि “बालक मन की एकाग्रता, आत्मअनुशासन (सेल्फ डिसिप्लीन) और मोबाइल के सदुपयोग” पर विशेष ध्यान दें। मोबाइल का दुरुपयोग व्यक्ति की क्षमता को सीमित कर देता है, जबकि उसका सही उपयोग ज्ञान और प्रगति के मार्ग खोलता है।

उपाध्याय ने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे व्यसन, विवाद और नकारात्मक प्रवृत्तियों से दूर रहकर अपने जीवन को लक्ष्यनिष्ठ और सकारात्मक बनाएं। उन्होंने कहा कि विद्यालयीय शिक्षा के साथ-साथ चारित्रिक गुणों का विकास भी उतना ही आवश्यक है। “हम जितना अच्छा मनुष्य बनेंगे, उतनी ही समाज में हमारी उपयोगिता बढ़ेगी,” उन्होंने कहा।

कार्यक्रम के दौरान अणुव्रत समिति मंत्री गोपाललाल पंचोली ने कहा कि संकल्पों की सिद्धि और संवेग नियंत्रण का मार्ग जीवनविज्ञान और प्रेक्षा ध्यान से होकर जाता है। उन्होंने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ जी द्वारा प्रतिपादित यह ध्यान पद्धति व्यक्ति को अपने भीतर झाँकने और आत्मनियंत्रण सिखाने का माध्यम है। पंचोली ने विद्यार्थियों को श्वास प्रेक्षा, विचार प्रेक्षा और महाप्राण ध्वनि के व्यावहारिक प्रयोग करवाए और बताया कि इन अभ्यासों से मन की चंचलता समाप्त होती है तथा आत्मविश्वास बढ़ता है।

अणुव्रत मार्गदर्शक एवं रंगकर्मी संचिना अध्यक्ष ने इस अवसर पर बालिका शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण पर एक प्रभावशाली नाट्य प्रस्तुति दी। नाटक में पेड़ों की उपयोगिता, जल संरक्षण और बालिका सशक्तिकरण जैसे मुद्दों को संवेदनशील और सजीव रूप में प्रस्तुत किया गया। विद्यार्थियों ने तालियों की गड़गड़ाहट से इस प्रस्तुति की सराहना की।

कार्यक्रम में उप प्रधानाचार्य कटारिया ने “फूल और तितली” विषय पर भावनात्मक और ओजस्वी कविता प्रस्तुत की, जिससे पूरा वातावरण साहित्यिक और प्रेरणादायी बन गया। उन्होंने कहा कि प्रकृति हमारी जीवनसंगिनी है, उसकी रक्षा करना हम सबका कर्तव्य है। इस अवसर पर अणुव्रत समिति शाहपुरा की ओर से विद्यालय के प्रधानाचार्य सहित सभी शिक्षकों को जीवनविज्ञान साहित्य भेंट कर सम्मानित किया गया। समिति ने विद्यालय परिवार की समाजोपयोगी गतिविधियों और अणुव्रत सिद्धांतों के प्रचार में सक्रिय भूमिका की सराहना की।

कार्यक्रम के अंत में कैलाशचंद्र शर्मा ने विद्यालय परिवार, अणुव्रत समिति के पदाधिकारियों एवं सभी उपस्थित जनों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन विद्यार्थियों के मन-मस्तिष्क में नैतिकता, अनुशासन और आत्मविकास के बीज बोते हैं। कार्यक्रम का संचालन अनूप कुमार मीणा ने संयमित और प्रभावशाली ढंग से किया। उन्होंने कहा कि अणुव्रत केवल धार्मिक या आध्यात्मिक विचार नहीं, बल्कि यह एक जीवनशैली है जो व्यक्ति को भीतर से मजबूत बनाती है। अंत में विद्यालय प्रांगण में सभी विद्यार्थियों और शिक्षकों ने “अणुव्रत के संकल्पों पर चलने और जीवन में अहिंसा, सत्य, संयम और सेवा को अपनाने” का सामूहिक संकल्प लिया।

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