बिहार में आयुष महिला डॉक्टर के हिजाब से कथित छेड़छाड़ पर APCR ने जताई कड़ी आपत्ति

जहाजपुर। बिहार में एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान मुस्लिम महिला आयुष डॉक्टर के हिजाब में कथित रूप से जबरन हस्तक्षेप किए जाने के मामले पर Association for Protection of Civil Rights APCR ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। संगठन ने इसे भारतीय संविधान में निहित मूल्यों का गंभीर उल्लंघन बताया है।
APCR का कहना है कि यह घटना महिला की गरिमा, निजी स्वतंत्रता और धार्मिक अधिकारों पर सीधा आघात है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट सैयद सआदत अली ने कहा कि किसी महिला के धार्मिक परिधान को उसकी सहमति के बिना सार्वजनिक मंच पर हटाना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का खुला उल्लंघन है।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केएस पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ के फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कि निजता, गरिमा और शारीरिक स्वायत्तता जीवन के मौलिक अधिकार का अभिन्न हिस्सा हैं और इनसे किसी भी स्थिति में समझौता नहीं किया जा सकता।APCR ने यह भी कहा कि यह मामला संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत मिलने वाली धार्मिक स्वतंत्रता में अवैध दखल का है। संगठन के अनुसार राज्य या उसके प्रतिनिधियों को किसी भी नागरिक की धार्मिक पहचान में हस्तक्षेप करने या उसका अपमान करने का अधिकार नहीं है, खासकर तब जब न तो सार्वजनिक सुरक्षा से जुड़ा कोई सवाल हो और न ही कोई कानूनी बाध्यता।संगठन ने इस घटना को अनुच्छेद 15 के अंतर्गत लिंग और धर्म के आधार पर भेदभाव का मामला भी बताया। APCR का कहना है कि किसी महिला को उसके धार्मिक पहनावे के कारण सार्वजनिक रूप से अपमानित करना राज्य की उस जिम्मेदारी के विपरीत है, जिसके तहत महिलाओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
APCR ने मांग की है कि इस पूरे मामले की जांच भारतीय दंड संहिता और भारतीय न्याय संहिता के प्रावधानों के तहत की जाए। संगठन का कहना है कि इस घटना में महिला की मर्यादा भंग करने, धार्मिक भावनाओं को आहत करने और आपराधिक बल के तत्व मौजूद हो सकते हैं। पद की गरिमा में रहते हुए किया गया ऐसा कृत्य और अधिक जवाबदेही तय करता है।
APCR के महासचिव मुजम्मिल रिज़वी ने कहा कि यह मामला किसी राजनीतिक मतभेद का नहीं, बल्कि संविधान, कानून के शासन और महिलाओं के मौलिक अधिकारों से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि यदि राज्य नागरिकों की गरिमा की रक्षा करने में असफल रहता है, तो यह लोकतांत्रिक व्यवस्था की मूल भावना पर चोट है। संगठन ने स्पष्ट किया कि वह पूरे प्रकरण पर नजर बनाए रखेगा और जरूरत पड़ने पर कानूनी कदम भी उठाएगा।
