76 यूनिट किया रक्तदान

76 यूनिट किया  रक्तदान
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शाहपुरा@(किशन वैष्णव)रविवार की सुबह पनोतिया के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय प्रांगण में कुछ अलग ही दृश्य था ना किसी उत्सव की चकाचौंध, ना किसी मंच की भीड़,

बल्कि एक सादा-सा आयोजन, जो इंसानियत की सबसे सुंदर तस्वीर बना गया।यह अवसर था समाजसेवी स्व. गणेश लाल कुमावत की द्वितीय पुण्यतिथि का,

जहां उनकी स्मृति में रक्त सै‌निक सेवा संघ के तत्वावधान में रक्तदान शिविर आयोजित हुआ।

76 यूनिट रक्तदान — सेवा की मिसाल बनी पुण्यतिथि

शिविर का शुभारंभ पूर्व उपप्रधान गजराज सिंह राणावत, कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष महावीर कुमावत, पूर्व सरपंच देवरिया रामनारायण कुमावत, समाजसेवी उगमलाल मिस्री, राजू पूरी, अक्षय जोशी, महावीर कुमावत एवं राजेंद्र कुमावत द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया।सुबह से ही विद्यालय परिसर में रक्तदाताओं की भीड़ उमड़ पड़ी।

युवाओं में उत्साह और सेवा का जोश देखते ही बनता था।

दिनभर चले इस आयोजन में कुल 76 यूनिट रक्तदान हुआ, जिससे अनेक जरूरतमंदों को नई जिंदगी की उम्मीद मिली।

34 वर्ष की उम्र में 50वां रक्तदान — कैलाश कुमावत ने रचा इतिहास

शिविर का सबसे प्रेरणादायक क्षण तब आया जब पनोतिया निवासी रक्तसैनिक कैलाश कुमावत ने अपने जीवन का 50वां रक्तदान किया।

सिर्फ 34 वर्ष की आयु में इतनी बार रक्तदान कर उन्होंने मानवता की ऐसी मिसाल पेश की, जो पूरे प्रदेश के युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई है।

कैलाश कहते हैं

“रक्तदान मेरे जीवन का हिस्सा है। जब किसी अजनबी की जान बचाने का मौका मिलता है, तो लगता है जैसे खुद को नया जीवन मिल गया हो।”

वे जहां भी रक्तदान शिविर आयोजित होता है, वहां सबसे पहले पहुंचते हैं।

चाहे जन्मदिन हो, पुण्यतिथि या कोई भी सामाजिक अवसर

कैलाश हर मौके को सेवा के अवसर में बदल देते हैं।

उनकी इस निष्ठा के कारण अब वे क्षेत्र में रक्तदान योद्धा के रूप में पहचाने जाते हैं।

युवा पीढ़ी का बदलता नजरिया,रक्तदान बना आंदोलन

रक्त सै‌निक सेवा संघ के कार्यकर्ताओं ने बताया कि अब शाहपुरा और आस-पास के ग्रामीण इलाकों में हर अवसर पर रक्तदान शिविर आयोजित किए जा रहे हैं।युवक अपने जन्मदिन और विशेष दिनों पर रक्तदान कर समाज में नई सोच जगा रहे हैं।

रक्तदान करो, जीवन बचाओ का नारा अब केवल दीवारों पर नहीं, बल्कि युवाओं के दिलों में गूंज रहा है।

मातृशक्ति का भी उल्लेखनीय योगदान

इस शिविर की सबसे प्रेरक झलक रही महिलाओं की सहभागिता।

कई मातृशक्तियों ने पहली बार रक्तदान किया और समाज को यह संदेश दिया कि सेवा का कोई लिंग या सीमा नहीं होती।

उनका यह साहस आने वाली पीढ़ी के लिए उदाहरण बन गया।

गणेश लाल कुमावत,जिनका जीवन ही सेवा का पर्याय।

आयोजकों ने बताया कि स्व. गणेश लाल कुमावत जीवनभर समाजसेवा और मानवीय कार्यों में अग्रणी रहे।उनकी स्मृति में आयोजित यह रक्तदान शिविर उनके आदर्शों को जीवित रखने का माध्यम बना।विद्यालय परिसर में उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर सभी ने भावभीनी श्रद्धांजलि दी।शिविर के समापन पर सभी रक्तदाताओं को सम्मानित किया गया।हर चेहरे पर गर्व और सुकून झलक रहा था।क्योंकि उस दिन पनोतिया में सिर्फ रक्तदान नहीं,बल्कि मानवता का महोत्सव मनाया गया था।

इनका कहना..

“34 वर्ष की उम्र में 50 बार रक्तदान करने वाले कैलाश जैसे युवाओं से ही समाज की धड़कन चलती है,क्योंकि वे साबित करते हैं कि इंसानियत अब भी जिंदा है।”

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