शाहपुरा में निजी अस्पताल का उद्घाटन,: नेताओं की खाली कुर्सियां बनी सुर्ख़ी, गैरहाज़िरी ने छोड़े सवाल

नेताओं की खाली कुर्सियां बनी सुर्ख़ी, गैरहाज़िरी ने छोड़े सवाल
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शाहपुरा हलचल कस्बे के भीलवाड़ा रोड पर एक प्रतिष्ठित निजी अस्पताल की नई शाखा का उद्घाटन मंगलवार को संपन्न हुआ। अस्पताल प्रबंधन की ओर से आयोजन को सामाजिक सरोकार से जोड़ा गया – रक्तदान शिविर और नेत्र जांच शिविर के जरिए।

👉 काबरा चैरिटेबल ट्रस्ट और भारत विकास परिषद के सहयोग से रक्तदान शिविर आयोजित किया गया, वहीं लाइंस आई हॉस्पिटल और जिला अंधता नियंत्रण सोसाइटी की ओर से नि:शुल्क नेत्र परामर्श शिविर लगाया गया। स्थानीय लोगों की सहभागिता उल्लेखनीय रही – समाजसेवियों, संतों और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े लोगों ने कार्यक्रम को गरिमामयी बनाया।

🎗️ कार्यक्रम की शुरुआत शानदार रही लेकिन एक बात ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया – जिन जनप्रतिनिधियों को विशिष्ट अतिथि के रूप में बुलाया गया था, वे कार्यक्रम में नहीं पहुंचे।

🧾 आमंत्रण कार्ड में नाम थे –

• उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बेरवा

• यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा

• सांसद दामोदर अग्रवाल

• विधायक डॉ. लालाराम बेरवा

• पालिका अध्यक्ष रघुनंदन सोनी

• प्रधान माया देवी जाट

💬 लेकिन इनमें से कोई भी इस सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े कार्यक्रम में शामिल नहीं हुआ।

लोगों का कहना है कि अगर मंच राजनीति का नहीं था तो शायद यही वजह रही होगी कि कोई नहीं आया।

📌 स्वास्थ्य सेवा जैसी मूलभूत ज़रूरत पर हो रहे कार्यों में जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति केवल औपचारिकता नहीं, एक सामाजिक जिम्मेदारी है। उनकी अनुपस्थिति ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या राजनीति अब जनहित से दूर होती जा रही है?

🗣️ कुछ लोगों ने इसे निजी प्रयासों की अनदेखी बताया तो कुछ ने इसे राजनीतिक अहंकार से जोड़ कर देखा।

⚖️ सवाल यह है – जब आम जनता, संस्थाएं और सामाजिक संगठन मिलकर स्वास्थ्य सेवाओं में योगदान दे रहे हैं, तब क्या चुने हुए प्रतिनिधियों की चुप्पी वाजिब है?

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