भारतीय संस्कृति और संस्कारों का समावेश आज की महती आवश्यकता

भारतीय संस्कृति और संस्कारों का समावेश आज की महती आवश्यकता
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पारोली। मातृशक्ति अपनी संतान को राणा प्रताप व शिवाजी की तरह महान बनाएं। पुत्र के बुद्धिमान बनने में मां की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।यह बात शाहपुरा नगर संघ चालक एवं शिक्षाविद् कन्हैयालाल वर्मा ने पारोली स्थित आदर्श विद्या मंदिर में आयोजित मातृ शक्ति संगम में कही।

वर्मा ने कहा कि महाराणा प्रताप, शिवाजी, लव-कुश ये सब अपनी माताओं की छांव में पले बढ़े और आज विश्व में पूजे जा रहें हैं। बेटियों को सीता, सावित्री, दुर्गा बनाएं जो विपरीत परिस्थितियों में विचलित न हों,संकट का डटकर मुकाबला करें। साथ ही वर्मा ने खान-पान पर भी सावचेत रहने की हिदायत दी है। वर्तमान में खाये जाने वाले मैगी, नूडल्स, मसाला मस्तिष्क को खाये जा रहें हैं।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सेवानिवृत शिक्षिका शांति देवी बाहेती ने भैया बहिनों को मोबाइल से दूर रखने का आग्रह किया। मोबाइल बालकों के बचपन को छीन रहा है। कार्यक्रम की अध्यक्ष सीमा देवी टांक ने मां शब्द की महिमा बताते हुए कहा कि मां के आगे संसार झुका हैं। आधुनिकता के इस युग में भारतीय संस्कृति और संस्कारों का समावेश आज के समय की महती आवश्यकता है।

इस अवसर पर शंभू लाल पाराशर, उम्मेद सिंह राजपूत, श्वेता देवी गुगलिया, सीमा टांक, राधा किशन लढ़ा, स्नेहलता पालीवाल सहित बड़ी संख्या में 10 गांवों से 130 माताओं बहनों ने भाग लिया।

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