शक्करगढ़ में राजीविका की महिलाओं का नवाचार: फूलों और बिल्व पत्र से बनाई हर्बल गुलाल

शक्करगढ़ (सांवरिया सालवी)। शक्करगढ़ के दी राजीविका क्लस्टर की महिलाओं का हर वर्ष कोई न कोई नवाचार देखने को मिलता है। इस वर्ष भी उन्होंने अनोखी पहल की है। महिलाओं ने शिवरात्रि के बाद मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों और बिल्व पत्रों को एकत्रित कर उन्हें सुखाकर हर्बल गुलाल तैयार की है।
क्लस्टर मैनेजर शीला रॉय ने बताया कि "होली के रंग, प्रकृति के संग"—इस सोच के साथ महिलाओं ने इस बार प्राकृतिक रंगों से होली के लिए गुलाल बनाई है। यह गुलाल पूरी तरह से शुद्ध और प्राकृतिक सामग्रियों से तैयार की गई है। इसकी खासियत यह है कि मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों और बिल्व पत्रों को दूसरे दिन एकत्रित कर, सुखाकर और उनका रस निकालकर अरारोट (जो मिठाइयों में इस्तेमाल होने वाली एक प्राकृतिक सामग्री है) में मिलाया गया। फिर इसे दोबारा सुखाकर और सुगंधित इत्र मिलाकर हर्बल गुलाल तैयार की गई।
*प्राकृतिक सामग्रियों से बनी हर्बल गुलाल*
रॉय ने बताया कि यह 100% प्राकृतिक होली गुलाल हल्दी, संतरे के छिलके, लाल गुलाब, गेंदे के फूल, चुकंदर, हिबिस्कस, पालक और बिल्व पत्र जैसी हाथ से चुनी गई सामग्रियों से बनाई गई है। यह गुलाल न केवल त्वचा के लिए सुरक्षित है, बल्कि पूरी तरह से पर्यावरण-अनुकूल और बायोडिग्रेडेबल भी है। रसायनों, कृत्रिम रंगों और हानिकारक तत्वों से मुक्त यह हर्बल गुलाल एक सुगंधित, कोमल और चिकनी बनावट प्रदान करती है, जिससे होली खेलने का अनुभव और भी सुखद हो जाता है।
रॉय ने बताया कि अब तक 150 किलो हर्बल गुलाल तैयार की जा चुकी है। सोमवार को इस पहल की शुरुआत जिला कलेक्टर जसमीत सिंह संधू को गुलाल भेंट करके की जाएगी। यदि बाजार से अधिक मांग आती है, तो आगे और भी उत्पादन किया जाएगा।
