राजकीय महाविद्यालय में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

शाहपुरा (मूलचन्द पेसवानी)। श्री प्रतापसिंह बारहठ राजकीय महाविद्यालय, शाहपुरा में अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (उच्च शिक्षा राजस्थान) इकाई शाहपुरा के तत्वावधान में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जन्म जयंती ‘जनजातीय गौरव दिवस’ पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता सह कुटुंब प्रबोधन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, चित्तौड़ प्रान्त के सूर्यप्रकाश शर्मा रहे, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. पुष्करराज मीणा ने की।
दीप प्रज्वलन से हुआ शुभारंभ
कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती एवं भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण के साथ हुई। सरस्वती वंदना छात्रा डाली कुम्हार ने प्रस्तुत की, जिसने समारोह के वातावरण को आध्यात्मिक भाव से ओत-प्रोत कर दिया।
“बिरसा मुंडा—त्याग, संघर्ष और प्रेरणा के प्रतीक”
मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता सूर्यप्रकाश शर्मा ने अपने उद्बोधन में भगवान बिरसा मुंडा को महान स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और आदिवासी चेतना के पुंज के रूप में याद किया। उन्होंने कहा कि –
“इतिहास में बिरसा मुंडा को वह स्थान नहीं मिल पाया जिसके वे वास्तविक हकदार थे। उनकी जीवनगाथा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का जीवंत अध्याय है। उन्होंने जंगल, जल और जमीन पर आदिवासी अधिकारों के लिए अलख जगाई और अँग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध उलगुलान आंदोलन चलाया।”
उन्होंने उपस्थित विद्यार्थियों और संकाय को प्रेरित करते हुए कहा कि ऐसे महापुरुषों के त्याग और संघर्ष से राष्ट्रनिर्माण की शक्ति प्राप्त होती है।
“धरती आबा—अल्पायु में अमर योगदान”
अध्यक्षीय संबोधन में प्राचार्य डाॅ. पुष्करराज मीणा ने कहा कि—“व्यक्ति कर्मों से महान बनता है। बिरसा मुंडा ने अल्पायु में ही समाज सुधार, आदिवासी उत्थान और स्वतंत्रता संग्राम में अमूल्य योगदान दिया। इसलिए उन्हें ‘धरती आबा’ अर्थात पृथ्वी के पिता के रूप में सम्मानित किया जाता है।”
उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे बिरसा मुंडा की जीवन प्रेरणा को आत्मसात कर समाज सेवा और राष्ट्रीय कर्तव्य को प्राथमिकता दें।
उलगुलान आंदोलन पर प्रकाश
कार्यक्रम का संचालन कर रहे प्रो. मूलचन्द खटीक ने अपने संबोधन में बताया कि बिरसा मुंडा ने आदिवासी समुदाय को संगठित कर अंग्रेजी शासन के खिलाफ उलगुलान आंदोलन का शंखनाद किया। जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए किया गया यह संघर्ष आज भी आदिवासी गौरव का आधार है।
कार्यक्रम में सभी संकाय सदस्य रहे उपस्थित
संगोष्ठी में महाविद्यालय के सभी संकाय सदस्य उपस्थित रहे और महान स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा के जीवन दर्शन को याद किया।
कार्यक्रम के अंत में ए.बी.आर.एस.एम. स्थानीय इकाई के सचिव डाॅ. रंजीत जगरिया ने अतिथियों, प्रतिभागियों और आयोजन समिति का आभार व्यक्त किया। राष्ट्रगीत वंदे मातरम् के साथ समारोह का समापन हुआ।
