संस्कृत हमारे संस्कारों की भाषा- मंडेला
शाहपुरा (भैरू लाल लक्षकार) जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान शाहपुरा के आईएफआईसी प्रभाग द्वारा आयोजित संस्कृत भाषा शिक्षक क्षमता संवर्धन तीन दिवसीय प्रशिक्षण आज संपन्न हुआ। प्रशिक्षण के समापन अवसर पर बोलते हुए प्रशिक्षण प्रभारी एवं प्रभागाध्यक्ष शिक्षाविद डॉ.कैलाश मंडेला ने संस्कृत को भारतीय वांग्मय में संस्कारों की भाषा बताते हुए इसके शिक्षण से जुड़े सभी शिक्षकों को सर्व प्रथम स्वयं के शिक्षण कौशल में सुधार लाने पर जोर दिया। संस्कृत के मानक उच्चारण के अनुरूप सतत अभ्यास से ही संस्कृत भाषा के प्रति छात्रों की रुचि बढ़ पाएगी।
प्रशिक्षण में भीलवाड़ा और शाहपुर जिले के 23 संस्कृत शिक्षक संभागियों ने भाग लिया। जिले के सभी ब्लॉक से आए हुए संभागियों ने प्रशिक्षण को अत्यंत उपयोगी बताया और इस प्रशिक्षण की अवधि बढ़ाने हेतु सुझाव दिए। संदर्भ व्यक्ति प्रधानाचार्य डॉ. परमानंद शर्मा एवं प्राध्यापक डॉ.मधुसूदन शर्मा के कुशल नेतृत्व में विभिन्न प्रकार की गतिविधियां सत्रवार आयोजित की गई तथा संभागियों से संस्कृत में संभाषण करवाए गए। प्रभागाध्यक्ष श्री मंडेला ने इस सत्र में संस्कृत भाषा संबंधी उपादेय सामग्री के प्रकाशन की योजना पर चर्चा की। सामूहिक राष्ट्रगान के साथ प्रशिक्षण का समापन हुआ