शक्करगढ़ में श्रीमद्भागवत कथा का दूसरा दिन, भक्ति और दिव्यता से भरपूर

शाहपुरा-मूलचन्द पेसवानी |शक्करगढ़ स्थित संकट हरण हनुमत धाम में जारी श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन आज कथा व्यास आचार्य स्वामी जगदीश पुरी जी महाराज ने दिव्य प्रसंगों, भक्ति और वैराग्य के संदेशों से भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया। पंडाल में बैठे सैकड़ों श्रद्धालुओं ने कथा के प्रत्येक प्रसंग पर आत्मिक ऊर्जा का अनुभव किया।
परीक्षित वैराग्य से लिया वैराग्यदृमार्ग का संदेश--
दूसरे दिन कथा की शुरुआत परीक्षित वैराग्य के प्रेरक प्रसंग से हुई। आचार्य श्री ने बताया कि जब मृत्यु का समय निकट आया, तब राजा परीक्षित ने संसार की मोह-माया त्यागकर पूर्णतरू भगवान की शरण ग्रहण की। उन्होंने कहा कि जब जीवन में वैराग्य जागृत होता है, तभी सच्चे अध्यात्म का आरंभ होता है।
शुकागमन, साधन स्कन्ध और दक्ष यज्ञ का भावपूर्ण वर्णन-
कथा में आगे महर्षि शुकदेव जी के आगमन का अद्भुत दृश्य वर्णित किया गया, जिसने पूरे पंडाल में भक्ति की तरंग दौड़ा दी। साधन स्कन्ध में श्रवण, कीर्तन, स्मरण और विविध भक्ति रूपों की महिमा पर विस्तार से प्रकाश डाला गया। इसके बाद दक्ष यज्ञ प्रसंग में अहंकार से होने वाले विनाश का गहरा संदेश मिलाकृसती का आत्मदाह, शिवजी का अपमान और वीरभद्र का अवतरण कथा का केंद्र रहा। धु्रव चरित्र के साथ दिन का समापन हुआ। बालक धु्रव की अटूट भक्ति और दृढ़ निश्चय ने भक्तों को संदेश दिया कि ईश्वर कृपा दृढ़ श्रद्धा से ही प्राप्त होती है।
कथा के दौरान ब्रह्मचारी नारायण चैतन्य और चन्द्र मोहन शर्मा द्वारा प्रस्तुत भजनों ने वातावरण को और भी मधुर एवं आध्यात्मिक बना दिया। केकड़ी, देवली, जहाजपुर, ब्यावर सहित कई स्थानों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा में शामिल हुए।
दिव्य संत समागम- संतों की वाणी ने जगाई अध्यात्म-ज्योति
ब्रह्मलीन संत अमराव महाराज के प्रथम निर्वाण महोत्सव के अंतर्गत आयोजित दिव्य संत समागम में प्रतिष्ठित संतों ने समाज को शांति, सेवा और सद्भाव का संदेश दिया। आज अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही सम्प्रदायाचार्य शाहपुरापीठाधीश्वर स्वामी रामदयाल महाराज, महामंडलेश्वर प्रणवाचेतन्य सरस्वती महाराज, इंदौर, रामस्नेही संत स्वामी अर्जुनराम महाराज, ब्यावर, संत दीपक पुरी , मांडल, मौजूद रहे।
स्वामी रामदयाल महाराज ने कहा कि संत कभी मरते नहीं, वे अपनी वाणी और विचारों के रूप में युगों-युगों तक जीवित रहते हैं। स्वामी अर्जुनराम महाराज ने कहा कि संत संगति और भक्ति मनुष्य को दिव्यता की ओर ले जाती है। महामंडलेश्वर प्रणवाचेतन्य सरस्वती महाराज ने कहा कि भागवत कथा प्रेम, करुणा और सद्भाव की जागृति का स्रोत है। संत दीपक पुरी जी महाराज ने कहा कि संत समागम मनुष्य को जीवन का वास्तविक लक्ष्य समझाता है और मन को निर्मल करता है।
संत समागम का संचालन स्वामी सोहम चैतन्य पुरी महाराज ने किया।
