"प्रदेश का अनोखा रावण दहन: पुतले की सवारी के बाद श्मशान में किया दहन"
बनेड़ा ( केके भण्डारी )
बुराई पर अच्छाई की विजय के महापर्व विजयादशमी के अवसर पर जहां सब जगह रावण बनता हैं वही उसे जलाया जाता है ।
लेकिन राजस्थान में भीलवाड़ा जिले के बनेड़ा कस्बे में रावण के पुतले की सवारी को जुलूस के रुप में निकाला जाता हैं फिर श्मशान घाट में होता है दहन । इस तरह पूरे प्रदेश में अनोखा होता है बनेड़ा का रावण दहन ।
हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी अखाड़ा प्रदर्शन व ढोल-नगाड़ों के साथ युवा शक्ति द्वारा दिन में नाचते-गाते जुलूस के रुप में ठेठ श्मशान घाट तक रावण के पुतले को सवारी निकाली गई ।
ऐसे होता है रावण दहन कार्यक्रम-
सारे ग्राम वासी दिन में खारिया कुंड से रावण के पुतले के साथ राम, लक्ष्मण, हनुमान और महादेव बने प्रतीक के साथ रवाना होकर चौखी बावड़ी, मुख्य बाजार, बस स्टैंड से होते हुए, अखाड़ा प्रदर्शन करते हुए शाम को श्मशान घाट तक पहुंचे, फिर वहाँ बने रावण के चबूतरे पर रावण के पुतले का राम बने प्रतीक द्वारा दहन किया गया । इस मौके पर भव्य आतिशबाजी भी की गई ।
दशहरा कमेटी के अरविंद अजमेरा (बल्लू) ने बताया कि यह परंपरा लगभग 45 वर्षों से भी अधिक समय से चली आ रही है जो उनके दादाजी स्व. रामस्वरूप जी अजमेरा ने अपने मित्रों के साथ मिलकर शुरू की और पूरे भारत वर्ष में सिर्फ बनेड़ा में ही इस तरह की सवारी निकाली जाती हैं ।
किशनसिंह ने बताया की रावण बनेड़ा के दशरथ सिंह, कमल सोनी व अपनी टीम सहित स्थानीय कारीगरों द्वारा ही बनाया जाता हैं । इस बार लगभग 13 फीट का रावण का पुतला बनाया गया । सभी ग्राम वासियों का इसमें सहयोग रहता हैं ।
बनेड़ा के जो लोग नौकरी , व्यवसाय , शिक्षा या किसी भी वजह से बाहर रहते हैं वे भी दशहरे के दिन यहाँ अवश्य आते हैं इस प्रकार यह बनेड़ा का प्रमुख व विशेष त्यौहार बन चुका हैं ।इस कार्यक्रम में अखाड़ा प्रदर्शन भी विशेष आकर्षण का केंद्र रहा ।
दशहरे के इस मौके पर शस्त्र पूजन का आयोजन भी किया जाता है ।
इस बार एक ही जगह दो रावण के पुतले का हुआ दहन-
इस बार पारंपरिक रावण दहन के साथ ही बनेड़ा नगर पालिका द्वारा निर्मित रावण के पुतले का भी दहन किया गया जो एक ही जगह हुआ ।
बच्चों ने भी बनाया 10 फिट का रावण- बनेड़ा के पुलिस थाने के सामने स्थित हनुमान कॉलोनी के बच्चों ने भी इस बार 10 फीट लंबा आकर्षक रावण का पुतला बनाया जिसका देर रात दहन किया गया । ऋषि शर्मा(छोटा), अनिरुद्ध वैष्णव (नमन), केशव यादव, चिकी, शुभम, अजय सोनी, मनोज वैष्णव, ऋषभ पाराशर भार्गव छिपा आदि ने मिलकर इस पुतले का निर्माण किया ।
