विश्व कप जीत के 42 साल : वह दिन जिसने भारतीय क्रिकेट ने रचा था इतिहास, कपिल की कप्तानी में तोड़ा था वेस्टइंडीज का घमंड

25 जून 1983, यह तारीख भारतीय क्रिकेट को चाहने वाले कभी नहीं भूल पाएंगे। आज ही के दिन 42 साल पहले भारत ने कपिल देव की कप्तानी में वह करिश्मा कर दिखाया था, जो इतिहास के स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया। आज ही के दिन भारत ने पहली बार वनडे वर्ल्ड कप का खिताब जीता था। इस जीत की सबसे खास बात ये थी कि भारत ने फाइनल में वेस्टइंडीज जैसी मजबूत टीम को हराया था। उस वर्ल्ड कप से पहले किसी ने भी नहीं सोचा था कि भारतीय टीम इंग्लैंड में ऐसा करिश्मा कर सकती है।
भारतीय टीम की वर्ल्ड कप में धमाकेदार शुरुआत
1983 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया की शुरुआत अच्छी रही थी। टीम ने पहले ही मैच में वेस्टइंडीज को 34 रनों से हराया था। इसके बाद जिम्बाब्वे के खिलाफ भी टीम इंडिया ने 5 विकेट से धमाकेदार जीत दर्ज की थी। यहां तक भारत के लिए सब कुछ ठीक चल रहा था। लेकिन अगले ही मैच में ऑस्ट्रेलिया ने टीम इंडिया को करारी शिकस्त दी। इस मैच में भारत को 162 रनों के बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद भारत का अगला मुकाबला वेस्टइंडीज से हुआ। यहां भी कपिल देव की टीम को 66 रनों से हार का सामना करना पड़ा। लगातार दो मैच हारने के बाद ऐसा लगा कि भारतीय टीम के लिए यहां से खिताब जीतना मुश्किल हो जाएगा। लेकिन इसके बाद जो अगले मैच में हुआ उसकी उम्मीद शायद किसी ने नहीं की थी।
जिम्बाब्वे के खिलाफ कपिल देव ने लगाया था शानदार शतक
टूर्नामेंट में टीम इंडिया का पांचवां मुकाबला जिम्बाब्वे से था। इस मैच में टीम इंडिया ने पहले बल्लेबाजी की। 17 रन के स्कोर तक भारत की आधी टीम पवेलियन लौट चुकी थी। ऐसा लग रहा था कि टीम इंडिया 50 रनों के अंदर ऑलआउट हो जाएगी। लेकिन कपिल देव उस दिन शायद अलग ही सोच के साथ मैदान पर उतरे थे। उन्होंने 128 गेंदों में नाबाद 175 रनों की शानदार पारी खेली। इस पारी में उन्होंने 16 चौके और 6 छक्के लगाए थे। उनकी इसी पारी के बदौलत टीम इंडिया उस मैच में 60 ओवर में 266 रन बनाने में कामयाब रही थी। बता दें कि उस वक्त वनडे क्रिकेट 60-60 ओवर का होता था। इस मैच में जब टीम इंडिया की गेंदबाजी की बारी आई तो वहां बॉलर्स ने कमाल किया और जिम्बाब्वे को 235 रनों पर ऑलआउट कर भारत को 31 रनों से धमाकेदार जीत दिलाई।
इंग्लैंड को हराकर फाइनल में पहुंची थी टीम इंडिया
इस जीत के बाद भारतीय प्लेयर्स में अलग ही तरह का कॉन्फिंडेंस आ गया। इसके बाद भारत लीग स्टेज में ऑस्ट्रेलिया और सेमीफाइनल में इंग्लैंड को हराकर फाइनल में पहुंचने में कामयाब रहा। फाइनल में फिर टीम इंडिया का सामना उस समय की सबसे मजबूत टीम वेस्टइंडीज से हुआ। यह मुकाबला ऐतिहासिक लॉर्ड्स के मैदान पर खेला गया था। फाइनल मुकाबला लो स्कोरिंग हुआ। इस मुकाबले में भारतीय टीम पहले बल्लेबाजी करते हुए सिर्फ 183 रनों पर सिमट गई। उस समय वेस्टइंडीज की टीम जिस तरह की फॉर्म में थी, उसको देखते हुए ऐसा लग रहा था कि उनके प्लेयर्स इस टारगेट को आसानी से हासिल कर लेंगे। लेकिन हुआ इसका ठीक उल्टा।
भारतीय गेंदबाजों ने फाइनल मैच में जबरदस्त गेंदबाजी की। उन्होंने वेस्टइंडीज के किसी भी बल्लेबाज को आसानी से रन बनाने के मौके नहीं दिए। हाल ये रहा कि पूरी विंडीज टीम 52 ओवर में 140 रन बनाकर ऑलआउट हो गई और भारत ने इस मैच को 43 रनों से अपने नाम किया। इसके साथ ही कपिल देव की कप्तानी में भारत ने पहली बार वनडे वर्ल्ड कप का खिताब जीता। उसके बाद भारत ने दूसरा वर्ल्ड कप का खिताब एमएस धोनी की कप्तानी में 2011 में जीता था।
