क्या सीएनजी वास्तव में ‘स्वच्छ ईंधन’ है? जानिए इस दावे की सच्चाई

क्या सीएनजी वास्तव में ‘स्वच्छ ईंधन’ है? जानिए इस दावे की सच्चाई
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नई दिल्ली |आज जब पेट्रोल और डीजल की कीमतें 100 रुपये प्रति लीटर के आसपास पहुंच चुकी हैं, सीएनजी (कंप्रेस्ड नेचुरल गैस) भारतीय कार बाजार में तेजी से लोकप्रिय हो रही है। लगभग हर कार कंपनी अब अपने पेट्रोल-सीएनजी वेरिएंट्स पेश कर रही है। ताकि ग्राहक ज्यादा किफायती और ईको-फ्रेंडली विकल्प चुन सकें।

पहले जहां सीएनजी को सिर्फ कमर्शियल वाहनों का ईंधन माना जाता था, अब वही ईंधन फीचर्स से भरपूर प्राइवेट कारों में भी दिया जा रहा है। इससे कार मालिक पेट्रोल और सीएनजी दोनों पर कार चला सकते हैं, जिससे ईंधन की लागत घटती है और रेंज बढ़ जाती है।

कई कंपनियां जैसे टाटा मोटर्स और निसान अब AMT (ऑटोमैटेड मैनुअल ट्रांसमिशन) के साथ सीएनजी इंजन भी दे रही हैं, जिससे यह और आकर्षक बन गया है।

क्या सीएनजी सच में पूरी तरह साफ ईंधन है

जानकारों की मानें तो इसका सीधा जवाब है- नहीं, सीएनजी पूरी तरह क्लीन फ्यूल (स्वच्छ ईंधन) नहीं है। सीएनजी का पूरा नाम Compressed Natural Gas (CNG) है, यानी यह नेचुरल गैस से तैयार किया जाता है। जो कि खुद एक फॉसिल फ्यूल (प्राकृतिक जीवाश्म ईंधन) है।

हालांकि, यह पेट्रोल और डीजल की तुलना में काफी साफ ईंधन माना जाता है, क्योंकि इसके जलने पर प्रदूषण बहुत कम होता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि यह 100 प्रतिशत प्रदूषण-मुक्त है।

क्यों नहीं कहा जा सकता सीएनजी को 'क्लीन फ्यूल'

सीएनजी के साथ सबसे बड़ा पर्यावरणीय खतरा मीथेन का रिसाव है। सीएनजी का उत्पादन और ट्रांसपोर्टेशन करते समय अक्सर थोड़ी मात्रा में मीथेन गैस लीक हो जाती है।

मीथेन एक खतरनाक ग्रीनहाउस गैस है, जिसकी ग्लोबल वार्मिंग क्षमता कार्बन डाइऑक्साइड से कई गुना ज्यादा होती है। इसका मतलब यह है कि अगर थोड़ी सी भी मीथेन लीक होती है, तो वह वातावरण को गर्म करने में बड़ा योगदान देती है। इसी वजह से विशेषज्ञ मानते हैं कि सीएनजी को पूरी तरह क्लीन फ्यूल कहना गलत होगा।

फिर भी सीएनजी के फायदे क्या हैं

सीएनजी के कई फायदे हैं, जिनसे यह पेट्रोल या डीजल की तुलना में बेहतर विकल्प बनता है। सीएनजी जलने पर कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कम होता है, जिससे कार्बन फुटप्रिंट घटता है। इसके अलावा, यह नाइट्रोजन ऑक्साइड्स और पार्टिकुलेट मैटर बहुत कम छोड़ता है। जो स्मॉग और वायु प्रदूषण के बड़े कारण हैं।

सीएनजी जलने पर मुख्य रूप से वॉटर वेपर (जलवाष्प) और बहुत कम मात्रा में सल्फर ऑक्साइड या कालिख बनती है। यानी, सीएनजी भले पूरी तरह स्वच्छ न हो, लेकिन यह पेट्रोल और डीजल के मुकाबले काफी ज्यादा पर्यावरण-अनुकूल और सस्ता विकल्प जरूर है।

आंशिक रूप से क्लीन, लेकिन अभी भी अधूरा समाधान

सीएनजी को "ग्रीन फ्यूल" कहा जा सकता है, लेकिन यह पूरी तरह प्रदूषण-मुक्त नहीं है। अगर सरकार और उद्योग मीथेन लीक को रोकने के बेहतर उपाय अपनाएं, तो यह भारत के लिए साफ और किफायती ऊर्जा का वास्तविक विकल्प बन सकता है।

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