एक मीटर लंबे पंख पर सवार ट्राइपॉड मछलियां, कई और चीजें बनाती हैं इन्हें खास
दुनियाभर में हजारों प्रकार की मछलियां पाई जाती हैं। 5,600 से अधिक मछलियों की प्रजातियां अकेले नेट्रोटॉपिकल में निवास करती हैं। व्हेल जैसी मछलियां अपने भारी भरकम शरीर के लिए चर्चा में रहती हैं, जबकि शार्क मछली के हड्डी नहीं होती है। पर क्या आपने किसी ऐसी मछली के बारे में कभी सुना है जिसके पंख होते हैं? पंख छोटे भी नहीं, लंबे और मजबूत जिसकी मदद से वे खड़ी हो सकती हैं और जब ये मछलियां इन पंखों की मदद से खड़ी होती हैं तो ऐसा लगता है कि तिकोना ट्राइपॉड लगा हो।
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक शोधकर्ताओं के एक समूह ने गहरे समुद्र से सबसे असामान्य समुद्री जीवों की खोज की है, जिसने उन्हें हैरान कर दिया है। समुद्र की सबसे गहरी जीवित मछलियों में से एक, ट्राइपॉड मछली अटलांटिक, प्रशांत और भारतीय महासागरों में व्यापक रूप से पाई जाती है। पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के तट पर एक जोड़े की पहचान की गई है, ये मछली सोशल मीडिया पर इन दिनों चर्चा का केंद्र बनी हुई है।
बाथिप्टेरोइस ग्रैलेटर मछली
बाथिप्टेरोइस ग्रैलेटर नाम की ये मछली 30 सेमी तक लंबी होती है। कभी-कभी इसे अन्य साथी ट्राइपॉड मछली के साथ समुद्र तल पर चुपचाप बैठे देखा सकता है। ये मछलियां कई प्रकार से खास हैं। इनके लंबे, बोनी पंख और पूंछ एक मीटर तक फैल सकते हैं और इन्हीं मजबूत पंखों की मदद से ये मछली 'खड़ी' भी होती है। हालांकि जब ये मछली तैर रही होती है, तो उसके नीचे लंबे पंख धीरे-धीरे और थोड़े अजीब तरीके से तैरते हैं।
ट्राइपॉड मछलियों की खासियत
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक समुद्र तल से लगभग एक मीटर ऊपर अपने पंखों की मदद से पूरी तरह से स्थिर बैठकर बाथिप्टेरोइस ग्रैलेटर मछली छोटे झींगे, मछलियों और क्रस्टेशियंस का शिकार करती हैं और यही इनका भोजन हैं।
कुछ रिपोर्ट्स में पता चलता है कि ये ट्राइपॉड मछलियां अपने शिकार को आते हुए नहीं देख पाती हैं। अत्यधिक अंधेरा होने के कारण व्यावहारिक रूप से इनकी आंखों के लिए ये किसी कठिन काम जैसा है। लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि इसके लंबे पंख कीचड़दार तलछट में जीवों के पास आने से होने वाले कंपन को महसूस कर सकते हैं।
पंख मदद करते हैं शिकार ढूंढने में
इसे कुदरत का करिश्मा ही कहेंगे कि चूंकि इन मछलियों की आंखें ठीक से विकसित नहीं हो पाती हैं, ऐसे में इनके पेक्टोरल पंखों का जोड़ा, जो उसके सिर के ठीक पीछे होता है वो एंटीना की तरह काम करता है और आने वाले शिकार के बारे में संवेदी जानकारी प्रदान करते हैं।
कुदरत का करिश्मा
है न बेहतर करिश्मा? एक खास बात और, ये मछलियां उभयलिंगी भी होती हैं जिसका मतलब है कि साथी न मिलने पर वे स्वयं प्रजनन भी कर सकती हैं। यकीन मानिए इन मछलियों को देखना किसी रोमांच से कम नहीं है? पर देखेंगे कैसे, क्या आपके पास पनडुब्बी है? क्योंकि ये अधिकतर समुद्रतल के आसपास ही पाई जाती हैं।