दो औरतें

दो औरतें
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मुहल्ले की दो औरतें बातें कर रही थी…  
...बातें भी क्या.. वो ही.., तेरी मेरी वाली।

तभी मुहल्ले के किसी और घर की लड़की उनके पास से निकली.. स्कूटी पर..  नये सूट में.. भन्नाट से …

दोेेनो औरतें..  तेरी मेरी छोड़, इस लड़की पर आ गयी… …. "देखो इसके भाव बढे जो.. किसी को देखती तक नहीं.."

"नौकरी क्या करने लग गयी, हवा में आ गयी.. देखा नहीं.. रोज नये नये कपड़े पहन कर जाती है"

"अरे.. किसी प्राइवेट बैंक में जाती है…. प्राइवेट में…।
कल ही ओझा आंटी बता रही थी कि रूपये तो कोरे सात हजार मिलते है…. और ये घंमड देखो इसका.."

"पूरी मां पर गयी है,.. मां कौनसी कम है इसकी.. कल मैनें आवाज दी.. कि .. लो, दो मिनट तो आऔ… तो बोली… काऽऽऽम पड़ा है .. 
.."जैसे हम तो निठल्ली हो।" 

"अब तो बेटी कमा रही है .. और भी घंमड आ जायेगा.."

वार्तालाप और भी चलती लेकिन एक मोटरसाइकिल वाला कोई घर ढूंढता हुआ उनके पास ही आ रूका…
 
"भाभीजी ये रमेेश जी जागोट का मकान ….

हां यही है… ये उनके घरवाले ही है.
दूसरी औरत नें तपाक से इस नयी पिक्चर में रुचि दिखाई .. "क्या हुआ है.. ?

आदमी बोला.. अरे भाभीजी  इनका लाला है ना..जीतू.. तीन महिने से

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