वन संरक्षण अधिनियम के उल्लंघन में पहली बार वन अधिकारियों को सजा
हिंडोन मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने वन संरक्षण अधिनियम 1980 के उल्लंघन के मामले में दो सेवानिवृत्त वन अधिकारियों को दोषी ठहराते हुए 15 दिन जेल की सजा सुनाई है। यह संभवतः पहला ऐसा मामला है जिसमें सक्षक न्यायालय ने लोक सेवाकों को इस अधिनियम के तहत दोषी ठहराया है।
यह मामला करौली मृदा संरक्षण वन प्रमंडल के तत्कालीन वन मंडलाधिकारी श्री ए.बी. रायजादा और सहायक वन संरक्षक हाकिम सिंह से संबंधित है जिनके द्वारा स्वराईता अधिसूचित वन को पहले एक विधानसभा प्रश्न में आरक्षित वन बताया गया एवं बाद में जिला प्रशासन को यह क्षेत्र गैर वन क्षेत्र बताते हुए इसके खनन एवं पट्ट स्वीकृत कर दिये। मामले में पर्यावरण विशेषज्ञ अधिवक्ता डॉ. एम. एस. कच्छावा द्वारा वन अपराधियों को दोषी ठहराने हेतु पैरवी की गई।
पर्यावरणविद् बाबूलाल जाजू ने न्यायालय के ऐतिहासिक निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि यह निर्णय वन संरक्षण अधिनियम के तहत लोक सेवकों की जवाबदेही तय करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।