गूगल ने किया इस बड़े कानून का उल्लंघन, अदालत ने पाया दोषी

अमेरिकी की एक संघीय अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि गूगल एक एकाधिकारवादी कंपनी है और कंपनी ने अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल करते हुए सर्च और विज्ञापन जगत में अपना दबदबा बनाया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि गवाहों और सबूतों के मद्देनजर अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि 'गूगल एक एकाधिकारवादी कंपनी है और इसने अपने एकाधिकार को कायम रखने के लिए ही काम किया है।'
क्या कहा अदालत ने
अमेरिका की संघीय अदालत के न्यायाधीश अमित मेहता ने पाया कि गूगल ऑनलाइन सर्च बाजार के लगभग 90 प्रतिशत और स्मार्टफोन सर्च बाजार के 95 प्रतिशत हिस्से को नियंत्रित करता है और गूगल ने दुनियाभर में डिफॉल्ट सर्च इंजन बनने के लिए अरबों डॉलर खर्च किए हैं। उल्लेखनीय है कि साल 2023 में अल्फाबेट की कुल बिक्री में गूगल विज्ञापन की हिस्सेदारी 77 प्रतिशत थी। न्यायाधीश ने कहा कि गूगल ने अमेरिका के एंटीट्रस्ट कानून का उल्लंघन किया है और अपनी स्थिति का फायदा उठाते हुए बाजार में प्रतिस्पर्धा को खत्म करने की कोशिश की।
अमेरिकी अटॉर्नी जनरल मेरिक गारलैंड ने इस फैसले को एक महत्वपूर्ण जीत बताते हुए कहा कि कोई भी कंपनी कानून से ऊपर नहीं है। व्हाइट हाउस ने भी इस फैसले का स्वागत प्रतिस्पर्धा की जीत के रूप में किया। डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन द्वारा शुरू किया गया यह मामला किसी प्रमुख टेक कंपनी के खिलाफ पहली बड़ी एंटीट्रस्ट कार्रवाई है। मेटा प्लेटफॉर्म, अमेज़ॅन और ऐप्पल के खिलाफ भी इसी तरह के मुकदमे दायर किए गए हैं।
गूगल ने अदालत के फैसले पर दी ये प्रतिक्रिया
अदालत के फैसले के खिलाफ गूगल अपील करने की योजना बना रही है। कंपनी का कहना है कि यह फ़ैसला उसकी सफलता को गलत तरीके से लक्षित करता है। गूगल ने एक बयान में कहा, 'यह फ़ैसला इस बात को मान्यता देता है कि गूगल सबसे अच्छा सर्च इंजन प्रदान करता है, लेकिन यह निष्कर्ष निकालता है कि हमें इसे आसानी से उपलब्ध कराने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।' अदालत के फैसले के बाद गूगल की मूल कंपनी अल्फाबेट के शेयरों में 4.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
