भारत-चीन रिश्तों को पटरी पर लाने की कवायद; अजीत डोभाल ने की विदेश मंत्री वांग यी के साथ बातचीत

भारत-चीन रिश्तों को पटरी पर लाने की कवायद; अजीत डोभाल ने की विदेश मंत्री वांग यी के साथ बातचीत
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राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ बातचीत की। दरअसल, सीमा तंत्र के लिए भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधियों राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश मंत्री वांग यी ने बुधवार को बीजिंग में अहम मुलाकात की। इस दौरान वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर शांति बनाए रखने और पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध की वजह से चार साल से अधिक समय से तनावपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों की बहाली समेत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई।

चीन के दौरे पर अजीत डोभाल

अजीत डोभाल चीन के दौरे पर हैं। वे व्यापक सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधि वार्ता के नए संस्करण में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। यह वार्ता करीब पांच साल के अंतराल के बाद हो रही है। इससे पहले विशेष प्रतिनिधियों (एसआर) की वार्ता दिसंबर 2019 में नई दिल्ली में हुई थी। इस बातचीत के चैनल को बहाल करने का फैसला 23 अक्तूबर को कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बैठक में लिया गया था।

क्या है मामला?

भारत और चीन ने पांच दिसंबर को अपनी कूटनीतिक वार्ता में विशेष प्रतिनिधि वार्ता की तैयारी की थी। वार्ता के लिए भारत के विशेष प्रतिनिधि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डोभाल हैं, जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व विदेश मंत्री वांग यी कर रहे हैं। पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद के कारण पिछले पांच साल में कोई विशेष प्रतिनिधि वार्ता नहीं हुईब थी।

मई 2020 में शुरू हुआ था सैन्य गतिरोध

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ था। तब जून में गलवां घाटी में हुई झड़प के बाद दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंधों में तनाव आ गया था। यह गतिरोध एक समझौते के तहत देपसांग और डेमचोक से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद समाप्त हुआ था। सैनिकों की वापसी के समझौते को 21 अक्तूबर को अंतिम रूप दिया गया था।

पीएम मोदी और शी जिनपिंग ने की थी बातचीत

समझौते पर हस्ताक्षर होने के दो दिन बाद पीएम मोदी और शी जिनपिंग ने रूस के कजान शहर में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के इतर बातचीत की थी। बैठक में दोनों पक्षों ने सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधि वार्ता सहित कई वार्ता तंत्रों को बहाल करने पर सहमति व्यक्त की थी।

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