क्या यूक्रेन की तरह मोलदोवा पर हमले की योजना बना रहा रूस? जानें क्या आरोप और कितनी तैयारी

रूस और यूक्रेन के बीच जंग को अब तीन साल होने वाले हैं। कई पश्चिमी देशों का अंदाजा है कि इस युद्ध के इतना लंबा खिंचने की वजह रूस की कमजोर पड़ती ताकत है। हालांकि, मैदान पर रूस ने इन कयासों को किनारे लगाते हुए यूक्रेन पर ड्रोन्स, बैलिस्टिक मिसाइल से लेकर क्रूज मिसाइलों तक से हमला बोला है और उसके बड़े क्षेत्र पर कब्जा करने में सफलता हासिल की है। इस बीच अब रूस की तरफ से पश्चिम में एक और देश के खिलाफ मोर्चा खोले जाने का खतरा उभर रहा है। यह है एक छोटा देश मालदोवा, जिस पर रूस ने सैन्य अभियान की साजिश रचने के आरोप लगाए हैं और धमकियां दी हैं।

ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर रूस ने मालदोवा पर किस तरह की साजिश के आरोप लगाए हैं? पुतिन शासन से मोलदोवा को किस तरह का खतरा है? दुनिया में रूस की धमकियों को लेकर डर का माहौल क्यों है? और पुतिन के अगले कदम क्या हो सकते हैं? आइये जानते हैं...

मालदोवा के खिलाफ रूस के क्या आरोप?

रूस की खुफिया एजेंसियों ने आरोप लगाया है कि मालदोवा की राष्ट्रपति माइआ सैंडू यूक्रेन की सीमा के नजदीक ट्रांसनिस्ट्रिया में एक सैन्य अभियान चलाने की योजना बना रही हैं। इन एजेंसियों ने अनुमान लगाया है कि मोलदोवा का यह अभियान युद्ध में भी बदल सकता है। गौरतलब है कि सैंडू ने इसी मंगलवार को दूसरी बार मोलदोवा के राष्ट्रपति पद की शपथ ली है।

इसके बाद रूस के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को आरोप लगाया कि अमेरिका के नेतृत्व में नाटो (NATO) मोलदोवा को यूक्रेन के लिए एक हथियारों के अड्डे में बदल रहा है। इसके लिए पिछले कुछ महीनों में ही नाटो देशों ने बड़ी मात्रा में हथियार मोलदोवा पहुंचाए हैं। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाखारोवा ने कहा कि मॉस्को मानता है कि यह हथियार यूक्रेन के लिए ही भेजे गए हैं। उन्होंने इन आरोपों के पीछे मोलदोवा की राष्ट्रपति की पश्चिम में हुई पढ़ाई का हवाला दिया।

रूस के इन आरोपों के बाद पश्चिमी देशों में इस बात का डर है कि पुतिन सरकार यूक्रेन की तरह ही अपने एक छोटे पड़ोसी देश पर कार्रवाई का बहाना ढूंढ रही है। दरअसल, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कई बार कह चुके हैं कि यूक्रेन के साथ-साथ रूस के खिलाफ उसकी मदद करने वाले देशों से भी मॉस्को दुश्मन की तरह बर्ताव करेगा।

रूस से मोलदोवा को किस तरह का खतरा?

रूस की तरफ से फरवरी 2022 में यूक्रेन के खिलाफ जंग छेड़े जाने के बाद मोलदोवा की राष्ट्रपति सैंडू ने चिंता जताई थी कि रूस का अगला निशाना मोलदोवा हो सकता है। उन्होंने पश्चिमी देशों के नेताओं से अपील की थी कि वह मोलदोवा की चिंताओं का संज्ञान लें। इसी हफ्ते मोलदोवा में राष्ट्रपति चुनाव जीतने और शपथ लेने के बाद सैंडू ने कहा था कि हमने यूरोपीय संघ (ईयू) के लिए दरवाजे खुले छोड़ दिए हैं। गौरतलब है कि मोलदोवा जून 2022 से ही ईयू में शामिल होने के लिए उम्मीदवारी पेश कर रहा है। हालांकि, यूरोपीय संघ की तरफ से अब तक आधिकारिक तौर पर उसे संगठन का हिस्सा बनाने पर फैसला नहीं लिया गया है।

ऐसे में माना जा रहा है कि रूस का असली मकसद मोलदोवा को ईयू का हिस्सा बनने से रोकना है। रूस इसके लिए जानबूझकर मोलदोवा पर ट्रांसनिस्ट्रिया में सैन्य अभियान की योजना बनाने का आरोप लगा रहा है, ताकि वह खुद ट्रांसनिस्ट्रिया के जरिए मोलदोवा पर हमले का मौका ढूंढ सके और पश्चिमी देशों के खिलाफ अपनी स्थिति और मजबूत कर सके।

क्या है ट्रांसनिस्ट्रिया, जिसके जरिए मोलदोवा को निशाना बनाने को तैयार रूस?

1990 में सोवियत संघ के टूटने के बाद यूक्रेन के पश्चिम में मोलदोवा एक अलग देश के तौर पर स्थापित हुआ। इसी दौरान मोलदोवा के पूर्व में यूक्रेन से लगे क्षेत्र में एक दल ने बगावत कर दी और मोलदोवा की स्वतंत्रता की स्थिति में खुद के सोवियत संघ से जुड़े रहने की घोषणा कर दी। 1991 में जब मोलदोवा ने सोवियत संघ से पूरी तरह आजादी का एलान कर दिया, तब इसके पूर्वी क्षेत्र में सैन्य संघर्ष शुरू हो गया। 1992 में इस जंग का अंत एक संघर्षविराम प्रस्ताव के जरिए हुआ। इसी प्रस्ताव के तहत मोलदोवा से अलग ट्रांसनिट्रिया के एक अलग स्वायत्त राज्य के तौर पर बने रहने का समझौता हुआ। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे आज भी मोलदोवा का ही हिस्सा माना जाता है, लेकिन यूरोप इसे 2022 से ही रूस के कब्जे वाला क्षेत्र मानता है।

चौंकाने वाली बात यह है कि यूक्रेन और मोलदोवा के बीच एक पट्टीनुमा आकार में बसे ट्रांसनिस्ट्रिया का अपना संविधान, झंडा और राष्ट्रगान भी है। चारों तरफ जमीन से घिरे इस स्वायत्त राज्य ने व्यापार के लिए 2005 में यूक्रेन से समझौता भी किया है। इसके तहत ट्रांसनिट्रिया अपने निर्यात यूक्रेन सीमा के जरिए करता है। हालांकि, इसका पंजीकरण मोलदोवा में होना जरूरी है।

यूरोपीय संघ के लिए क्यों सिरदर्द है ट्रांसनिस्ट्रिया?

2006 में ट्रांसनिस्ट्रिया में सरकार ने एक जनमत संग्रह भी कराया। इसके जरिए ट्रांसनिट्रिया ने खुद की स्वतंत्रता के साथ रूस के साथ जुड़ने की मांग को दोहराया। हालांकि, मोलदोवा ने इस जनमत संग्रह को मान्यता नहीं दी। इसके बावजूद ट्रांसनिस्ट्रिया में रूसी सेना की टुकड़ियां तैनात हैं। अक्तूबर तक यहां करीब 1500 रूसी सैनिक मौजूद हैं। रूस ने यहां बड़ी मात्रा में हथियार जुटा रखे हैं। इसके साथ ही उसका एक गोला-बारूदों का डिपो भी इसी क्षेत्र में है।

इसके बाद फरवरी 2022 में रूस के यूक्रेन पर हमला करने के बाद ट्रांसनिट्रिया के नेताओं ने रूस से खुद को भी सुरक्षा मुहैया कराने मांग की। बताया जाता है कि ट्रांसनिस्ट्रिया के नेताओं की यह मांगें कुछ उसी तरह थीं, जैसे यूक्रेन के रूस समर्थक नेताओं ने 2014 में मॉस्को से की थीं। इन्हीं मांगों का हवाला देकर रूस ने 2014 में यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा जमा लिया था। 2022 में इन्हीं मांगों का हवाला देकर रूस ने लुहांस्क और डोनेत्सक प्रांत पर कब्जा कर लिया था।

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