राष्ट्रपति यून ने रिहाई के लिए अदालत में पेश की दलील, इस वहज से महाभियोग का कर रहे हैं सामना
महाभियोग का सामना कर रहे दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून ने शनिवार को सियोल की एक अदालत के समक्ष अपनी रिहाई के लिए दलील पेश की। दूसरी तरफ, अदालत ने इस बात पर विचार किया कि उनकी औपचारिक गिरफ्तारी के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसी के अनुरोध को स्वीकार किया जाए अथवा नहीं।
भ्रष्टाचार जांच कार्यालय (सीआईओ) के उच्च पदस्थ अधिकारियों ने सियोल पश्चिमी जिला न्यायालय से यून की औपचारिक गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी करने का अनुरोध किया। सीआईओ पुलिस व सेना के साथ संयुक्त जांच का नेतृत्व कर रहा है। यून के वकीलों ने बताया कि करीब पांच घंटे तक बंद कमरे में चली सुनवाई के दौरान राष्ट्रपति ने न्यायाधीश के समक्ष करीब 40 मिनट तक अपनी दलील पेश की। उनकी कानूनी टीम व भ्रष्टाचार रोधी एजेंसियों ने यून को हिरासत में रखे जाने अथवा छोड़े जाने के मुद्दे पर दलीलें दीं। न्यायाधीश शनिवार देर रात या रविवार सुबह तक कोई फैसला सुना सकते हैं।
पेशी के बाद यून का काफिला शनिवार शाम अदालत से हिरासत केंद्र की ओर जाता देखा गया। अगर यून को औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया जाता है, तो जांचकर्ता उनकी हिरासत अवधि को 20 दिनों तक बढ़ा सकते हैं। इस दौरान वे अभियोग के लिए मामले को सरकारी अभियोजकों को सौंप देंगे।
यून के आवास पर कानून प्रवर्तन एजेंसी ने व्यापक अभियान चलाकर उन्हें बुधवार को गिरफ्तार किया था। उन पर तीन दिसंबर को मार्शल लॉ की घोषणा से जुड़े संभावित विद्रोह के आरोप हैं, जिसके कारण 1980 के दशक के अंत में देश में लोकतंत्रीकरण के बाद सबसे गंभीर राजनीतिक संकट उत्पन्न हुआ है।
तीन दिसंबर को लगाया था मार्शल लॉ
सुक येओल की ओर से तीन दिसंबर को मार्शल लॉ के एलान ने दक्षिण कोरियाई लोगों आश्चर्य में डाल दिया था। इस घोषणा के बाद देशभर में आक्रोश देखने को मिला। हालांकि, मार्शल लॉ केवल कुछ घंटे तक ही लागू रहा, लेकिन इसने देश की राजनीति, कूटनीति और वित्तीय बाजार में हलचल मचा दी थी। इसके बाद एशिया के सबसे जीवंत लोकतंत्रों में से एक दक्षिण कोरिया ने अचानक से अभूतपूर्व राजनीतिक उथल-पुथल का दौर देखा। इसके बाद 14 दिसंबर को सांसदों ने उन पर महाभियोग चलाने और उन्हें पद से हटाने के लिए मतदान किया।
इसके बाद सियोल पश्चिमी जिला न्यायालय ने 31 दिसंबर को यून सुक येओल को हिरासत में लेने का वारंट जारी किया था, क्योंकि वह पूछताछ के लिए जांच अधिकारियों के समक्ष पेश नहीं हो रहे थे। जब जांच एजेंसी और पुलिस यून को गिरफ्तार करने पहुंची तो उनके समर्थक और राष्ट्रपति सुरक्षा सेवा ने विरोध किया था। इस दौरान यून के वकीलों ने एक कानून का हवाला देते हुए कहा था कि भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसी के पास विद्रोह के आरोपों की जांच करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।
सियोल केंद्रीय जिला अदालत ने खारिज की थी रिहाई की याचिका
वकीलों ने सियोल केंद्रीय जिला अदालत से आग्रह किया था कि वह सुक येओल की रिहाई पर विचार पर करे। इसके अलावा, सुक येओल के खिलफ जारी किए गए गिरफ्तारी वारंट की वैधता को भी चुनौती दी गई थी। लेकिन अदालत ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद से वह हिरासत में हैं।