ड्रोन हमलों के बाद पुतिन का बड़ा कदम, अहम ठिकानों की सुरक्षा के लिए रिजर्व सैनिकों की वापसी

मॉस्को| यूक्रेन से बढ़ते ड्रोन हमलों के बीच रूस ने अपनी आंतरिक सुरक्षा को लेकर बड़ा कदम उठाया है। राष्ट्रपति पुतिन ने देशभर में महत्वपूर्ण ठिकानों और बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए रिजर्व सैनिकों को फिर से तैनात करने का आदेश दिया है। यह फैसला ऐसे समय आया है, जब हाल ही में उनके वाल्दाई स्थित आवास के पास ड्रोन गतिविधियों की खबरें सामने आई थीं।
राष्ट्रपति द्वारा जारी आदेश के अनुसार, वर्ष 2026 में रूसी सशस्त्र बलों के मोबिलाइजेशन रिजर्व में शामिल नागरिकों को विशेष प्रशिक्षण शिविरों में भेजा जाएगा। इनका उद्देश्य देश के महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों और जरूरी ढांचों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।
कौन से ठिकाने होंगे सुरक्षित
आदेश में रूसी सरकार को निर्देश दिया गया है कि वह उन महत्वपूर्ण ठिकानों और अन्य आवश्यक ढांचों की सूची तय करे, जिनकी सुरक्षा की जानी है। इसमें ऊर्जा संयंत्र, परिवहन नेटवर्क और रणनीतिक संस्थान शामिल हो सकते हैं। रक्षा मंत्रालय को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह उन सैन्य इकाइयों की पहचान करे, जो विशेष प्रशिक्षण अभ्यास कराएंगी।
ड्रोन हमलों की पृष्ठभूमि
पिछले कुछ महीनों में यूक्रेन की ओर से रूसी ऊर्जा ढांचे पर ड्रोन हमलों की घटनाएं बढ़ी हैं। इनमें अंतरराष्ट्रीय कैस्पियन पाइपलाइन कंसोर्टियम से जुड़ी सुविधाएं भी शामिल हैं, जो कजाखस्तान से कच्चे तेल को काला सागर के नोवोरोसिस्क बंदरगाह तक पहुंचाती हैं। इन हमलों ने रूस की ऊर्जा सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है।
नई मोबिलाइजेशन नहीं- रूसी सेना
रूसी सशस्त्र बलों के जनरल स्टाफ ने साफ किया है कि इस कदम का मतलब नई भर्ती या नई मोबिलाइजेशन नहीं है। रिजर्व सैनिक अपने-अपने घरेलू क्षेत्रों में ही सेवा देंगे और अपने नागरिक रोजगार भी बनाए रखेंगे। उनका काम केवल महत्वपूर्ण ठिकानों की सुरक्षा तक सीमित रहेगा।
छुट्टियों के दौरान अतिरिक्त सतर्कता
रूस में नए साल की लंबी छुट्टियों की शुरुआत हो चुकी है, जो 12 जनवरी तक चलेंगी। इस दौरान अधिकारियों ने आम लोगों को सतर्क रहने को कहा है। चेतावनी दी गई है कि ड्रोन जीपीएस सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए सुरक्षा कारणों से मोबाइल इंटरनेट सेवाओं में अस्थायी बाधा आ सकती है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, रिजर्व सैनिकों की वापसी से साफ है कि रूस अब आंतरिक सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान दे रहा है। ड्रोन हमलों की बढ़ती आशंका के बीच यह फैसला देश के अहम ढांचों को सुरक्षित रखने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
