वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बयान को आधार बनाकर खुद को बचाने में जुटे माल्या, वकीलों को दिया ये निर्देश
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विवादों में घिरे कारोबारी विजय माल्य ने ब्रिटेन में अपने खिलाफ दिवालियापन आदेश को रद्द कराने के लिए अपने वकीलों को आवेदन दायर करने का निर्देश दिया है। माल्या की कानूनी टीम ने दलील दी कि पिछले साल दिसंबर में संसद में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बयान से इस आदेश को 'अवास्तविक' माना जा सकता है।
यह घटनाक्रम तब सामने आया है, जब जस्टिस एंथनी मान ने इस हफ्ते लंदन कोर्ट में माल्या के दिवालियापन आदेश से जुड़ी तीन अपीलों की सुनवाई पूरी की और अपना फैसला सुरक्षित रखा, जिसे बाद में सुनाया जाएगा।
न्यायाधीश ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के नेतृत्व में बैंकों के एक संघ से संबंधित जटिल दलीलें सुनीं, जिसमें 69 वर्षीय व्यवसायी की अब बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस पर लगभग 1.05 बिलियन पाउंड के अनुमानित ऋण के पुनर्भुगतान की मांग की गई थी। माल्या धोखाधड़ी और धन शोधन के आरोपों में भारत में वांछित है। जायवाला एंड कंपनी के प्रबंध साझेदार लेह क्रेस्टोहल ने पीटीआई को बताया, "माल्या के दृष्टिकोण से, ये दिवालियापन कार्यवाही गुणवत्ता पूर्ण नहीं है।"
क्रेस्टोहल ने पिछले साल 17 दिसंबर को संसद में सीतारमण के बयान का हवाला देते हुए कहा, "अब ऐसे साक्ष्य सामने आए हैं जो दर्शाते हैं कि बैंकों का न केवल कर्ज चुका दिया गया है, बल्कि इसके अलावा बैंकों ने डॉ. माल्या से बकाया राशि से अधिक राशि वसूल ली है।" उन्होंने कहा कि सीतारमण ने संसद में दिए अपने बयान में पुष्टि की है कि 14,131.6 करोड़ रुपये की राशि एकत्र कर ली गई है और बैंकों को वापस कर दी गई है। क्रेस्टोहल ने कहा कि "यह मानकर चलना चाहिए" कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक संसद में दिए गए मंत्री के बयान की सत्यता को स्वीकार करेंगे।"
सीतारमण के लोकसभा में बयान के एक दिन बाद माल्या ने सोशल मीडिया पर दावा किया था कि वह इस मामले में राहत के हकदार हैं। इससे पहले जुलाई 2021 में माल्या के खिलाफ दिवालियापन आदेश जारी किया गया था।