हिट एंड रन... भागना मत, वरना लंबा नपोगे; समझें कितनी सजा और कितना जुर्माना
मुंबई के वर्ली इलाके में 7 जुलाई की सुबह हिट एंड रन मामले में एक महिला की मौत हो गई। एक बीएमडब्ल्यू ने स्कूटी पर सवार दंपती को टक्कर मार दी। पुलिस के मुताबिक, शिंदे गुट वाली शिवसेना के नेता राजेश शाह का बेटा मिहिर शाह तेज गति से कार चला रहा था। अब सवाल है कि केस चलता है और मिहिर को दोषी माना जाता है तो उसे नए कानून में कितने साल की सजा होगी?
'हिट एंड रन' मामले में इंडियन पीनल कोड (IPC) की तुलना में भारतीय न्याय संहिता में खासा सख्त प्रावधान किए गए हैं
कड़कड़डूमा कोर्ट और तीस हजारी कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे एडवोकेट मनीष भदौरिया बताते है कि पुराने कानून यानी आईपीसी में था- अगर कोई हिट एंड रन का मामला होता था तो दोषी ने पुलिस को इन्फॉर्म भी किया और घायल को हॉस्पिटल भी पहुंचाया या फिर पीड़ित को मरने के लिए छोड़कर भाग गया, दोनों ही स्थिति में सजा एक जैसी ही थी। दो साल की सजा और जुर्माना या फिर दोनों का ही प्रावधान था।
मनीष बताते हैं कि अब ऐसा नहीं है। नए आपराधिक कानून लागू होने के बाद 'हिट एंड रन' मामले में अगर टक्कर मारने वाला पुलिस/मजिस्ट्रेट को इन्फॉर्म करता है और घायल के लिए एंबुलेंस बुलाता है तो उसे 5 साल की जेल होगी और जुर्माना लगेगा, लेकिन अगर टक्कर मारकर भाग जाता है तो उसे 10 साल की जेल होगी और जुर्माना भी लगेगा। जुर्माना कितना, यह भी निर्धारित नहीं है।
'हिट एंड रन': पहले कितनी थी सजा?
1 जुलाई से पहले हिट एंड रन मामले में इंडियन पीनल कोड (IPC) की धारा 279 (लापरवाही से वाहन चलाना), 304A (लापरवाही के कारण मौत) और 337-338 (जान जोखिम में डालना) के तहत मामला दर्ज किया जाता है। आईपीसी के तहत दो साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान था। कुछ एक विशेष मामलों में आईपीसी की धारा 302 भी जोड़ी जाती थी।