भारत में टू-व्हीलर इंश्योरेंस का नया रूप: औपचारिकता से कस्टमाइज्ड प्रोडक्ट तक
कई दशकों तक भारत में टू-व्हीलर इंश्योरेंस को लोग सिर्फ एक औपचारिकता मानते थे। इसका मुख्य मकसद था ट्रैफिक पुलिस के चेकिंग के दौरान चालान से बचना। उस समय यह केवल थर्ड-पार्टी दायित्व या कभी-कभी ओन-डैमेज कवर तक सीमित था।
लेकिन अब स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। आज इंश्योरेंस केवल नियमों की पूर्ति नहीं रहा, बल्कि ऐसा प्रोडक्ट बन गया है जिसे राइडर्स अपनी ज़रूरतों और बजट के हिसाब से कस्टमाइज कर सकते हैं। डिजिटल प्लेटफॉर्म, बढ़ती फाइनेंशियल जागरूकता और नए ग्राहक एक्सपेक्टेशन ने इस सेक्टर की पूरी रूपरेखा बदल दी है।
---
### बढ़ता टू-व्हीलर इस्तेमाल और इंश्योरेंस की पहुँच
भारत दुनिया की सबसे बड़ी टू-व्हीलर आबादी का घर है। कुल रजिस्टर्ड वाहनों में करीब 75% हिस्सा मोटरसाइकिल और स्कूटर का है। ये सिर्फ सुविधा का साधन नहीं हैं, बल्कि करोड़ों परिवारों के लिए रोज़मर्रा की मोबिलिटी की रीढ़ हैं।
अक्सर घर में पहली गाड़ी के रूप में बाइक खरीदी जाती है और साथ में पहली इंश्योरेंस पॉलिसी भी। इसलिए टू-व्हीलर इंश्योरेंस को मास इंश्योरेंस पेनिट्रेशन का गेटवे प्रोडक्ट माना जाता है।
IRDAI (Insurance Regulatory and Development Authority of India) लंबे समय से इंश्योरेंस की पहुँच बढ़ाने पर जोर दे रहा है। थर्ड-पार्टी Bike Insurance को अनिवार्य बनाकर बेसिक कवरेज हर किसी तक पहुँचाया गया है।
---
### रिन्यूअल और लॉन्ग-टर्म बेनिफिट्स
अभी भी सबसे बड़ी चुनौती पॉलिसी का समय पर रिन्यूअल है। कई लोग पहली बार पॉलिसी लेने के बाद उसे नवीनीकरण करना भूल जाते हैं, जिससे कवरेज में गैप बन जाता है।
लॉन्ग-टर्म सेविंग और No Claim Bonus (NCB) जैसी सुविधाओं के बारे में जागरूकता बढ़ने से रिटेंशन बेहतर हो रहा है। लगातार कवरेज बनाए रखना न सिर्फ कंप्लायंस के लिए जरूरी है, बल्कि फाइनेंशियल प्रोटेक्शन और प्रीमियम बचत के लिए भी महत्वपूर्ण है।
---
### डिजिटल शिफ्ट: एजेंट से ऐप तक
पहले पॉलिसी खरीदना और रिन्यू करना थकाऊ और कागज़ी प्रक्रिया था। अधिकतर पॉलिसी गाड़ी खरीदते समय डीलर से ली जाती थीं और रिन्यूअल के लिए बार-बार फॉलो-अप करना पड़ता था।
आज डिजिटल प्लेटफॉर्म ने इस पूरी प्रक्रिया को बदल दिया है। राइडर्स मिनटों में ऑनलाइन पॉलिसी खरीद, रिन्यू या स्विच कर सकते हैं। पेपरलेस बाइंग, मोबाइल से पेमेंट और ऑनलाइन क्लेम सेटलमेंट जैसी सुविधाओं ने पूरी प्रक्रिया आसान बना दी है।
यह बदलाव ठीक उसी तरह है जैसे UPI ने पेमेंट सेक्टर को बदल दिया। देश ने कैश-हैवी ट्रांजैक्शन से मोबाइल पेमेंट की ओर शिफ्ट किया, वैसे ही टू-व्हीलर इंश्योरेंस भी डिजिटल मोमेंट का अनुभव कर रहा है। अब छोटे शहर और गांव के लोग भी प्रीमियम कंपेयर कर सकते हैं, ऐड-ऑन चुन सकते हैं और मोबाइल से ट्रांजैक्शन पूरा कर सकते हैं। डिजिटल ब्रोकर्स और इंटरमीडियरीज़ ने पारदर्शिता और विकल्प बढ़ा दिए हैं, जिससे ग्राहक सिर्फ स्टैंडर्ड पैकेज तक सीमित नहीं हैं।
