भारत में सेकंड हैंड कारों की मांग में जबरदस्त उछाल

By :  vijay
Update: 2025-07-11 18:20 GMT
भारत में सेकंड हैंड कारों की मांग में जबरदस्त उछाल
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भारत में सेकंड हैंड यानी पुरानी कारों का बाजार इस वक्त जोरों पर है। और इसकी बढ़ोतरी नई कारों के मुकाबले दोगुना तेजी से हो रही है। क्रिसिल रेटिंग्स की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा वित्तीय वर्ष में पुरानी कारों की बिक्री में 8-10 प्रतिशत की बढ़त देखने को मिलेगी, जबकि नई कारों की बिक्री इससे आधी दर से बढ़ रही है। इस ट्रेंड ने उपभोक्ताओं और ऑटो उद्योग दोनों का ध्यान अपनी तरफ खींचा है।

उपभोक्ताओं की पसंद में बदलाव

पिछले कुछ वर्षों में लोगों की खरीदारी की सोच बदली है। अब ग्राहक सिर्फ नई गाड़ी ही नहीं देख रहे, बल्कि वैल्यू फॉर मनी, आसान फाइनेंस और डिजिटल सुविधा की वजह से सेकंड हैंड कारों की तरफ भी बढ़े हैं। इस साल भारत में पुरानी कारों की बिक्री 60 लाख यूनिट से ज्यादा पहुंचने की संभावना है।

पांच साल पहले तक हर एक नई कार के मुकाबले एक से भी कम पुरानी कार बिकती थी, लेकिन अब ये रेशियो बढ़कर 1.4 हो गया है। मतलब, हर 10 नई कारों के साथ अब लगभग 14 पुरानी कारें भी बिक रही हैं। इसके पीछे वजह है कि लोग जल्दी-जल्दी अपग्रेड करने लगे हैं। और सेकंड हैंड गाड़ियों की औसत उम्र भी अब घटकर करीब 3.7 साल हो गई है।

हालांकि भारत अब भी अमेरिका (2.5), ब्रिटेन (4.0) और जर्मनी (2.6) जैसे विकसित देशों से पीछे है। जिसका मतलब है कि पुरानी कारों के बाजार में आगे और भी जबरदस्त बढ़ोतरी की गुंजाइश है।

ऑर्गनाइज्ड सेक्टर और मुनाफे की चुनौती

आज कई बड़े ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ऑर्गनाइज्ड सेक्टर (संगठनात्मक क्षेत्र) का आधा हिस्सा संभाल रहे हैं। और कुल सेकंड हैंड बिक्री का लगभग एक-तिहाई हिस्सा इन्हीं के जरिए हो रहा है।

लेकिन इन कंपनियों को ग्राहकों को लुभाने, गाड़ियों की मरम्मत, डिलीवरी और फाइनेंस जैसी सेवाओं में भारी खर्च उठाना पड़ता है, जिससे फिलहाल इन्हें घाटा हो रहा है। हालांकि, इनकी कमाई में तेज बढ़त दर्ज की जा रही है। और उम्मीद है कि अगले 12 से 18 महीनों में ये कंपनियां ब्रेक-ईवन यानी नुकसान से बाहर आ जाएंगी।

इन प्लेटफॉर्म्स ने अब सिर्फ गाड़ी बेचने तक खुद को सीमित नहीं रखा है। अब ये वाहन की जांच, फाइनेंस, इंश्योरेंस और होम डिलीवरी जैसी सुविधाएं भी दे रहे हैं। जिससे ग्राहकों का भरोसा भी बढ़ रहा है और कंपनियों को मार्जिन सुधारने का मौका मिल रहा है।

कोविड के झटकों में भी बना रहा भरोसा

नई कारों की बिक्री जहां महामारी और सेमीकंडक्टर की कमी से प्रभावित हुई, वहीं पुरानी कारों का बाजार इन झटकों को झेल गया। अब भी जब नई गाड़ियों की डिलीवरी में देरी हो रही है और कुछ पार्ट्स की कमी चल रही है, तो ग्राहक सेकंड हैंड ऑप्शन की तरफ मुड़ रहे हैं।

इसके अलावा, फाइनेंस की आसान उपलब्धता और डिजिटल माध्यमों के बढ़ते उपयोग से भी सेकंड हैंड कारों की बिक्री को बढ़ावा मिला है। 2019 से अब तक ऑर्गनाइज्ड सेक्टर में कंपनियों ने 14,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की फंडिंग जुटाई है। जिससे वे अपने इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी को मजबूत कर रही हैं।

गुणवत्ता वाली पुरानी कारें ही बनाएंगी रफ्तार

हालांकि भविष्य अच्छा दिख रहा है, लेकिन बाजार में अच्छी हालत में मौजूद सेकंड हैंड गाड़ियों की उपलब्धता इस रफ्तार को बनाए रखने के लिए जरूरी होगी। लोगों की पसंद अब यूटिलिटी और एसयूवी जैसी गाड़ियों की ओर बढ़ रही है। और अगर ऐसे वाहनों की संख्या सेकंड हैंड मार्केट में बढ़ती है, तो सेक्टर में जबरदस्त बढ़ोतरी का रास्ता खुला रहेगा।

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