नगर निगमों की शक्तियां बढ़ाने पर विचार: अधिकारों और शक्तियों का ही बंटवारा नहीं होना चाहिए

Update: 2024-11-23 02:27 GMT

नई दिल्ली। देश पर कि शहरों के विकास को प्राथमिकता देने के साथी प्राधिकरण और निगमन के बीच होने वाले टकराव को टालने के लिए एक कार्य व्यवस्था तैयार की जा रही है इसके लिए कार्य समूह का गठन किया गया है। अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो निर्गमन में अधिकार बढ़ जाएंगे और विकास को गति मिलेगी।

शहरों में विकास प्राधिकरणों की भूमिका समीक्षा के दायरे में है-विशेष रूप से उनकी जवाबदेही और स्वायत्तता पर पहली बार केंद्रीय स्तर पर निगाह डाली जा रही है। खास बात यह है कि विकास प्राधिकरणों के कामकाज की समीक्षा वाले कार्यसमूह का दायित्व उत्तर प्रदेश को दिया गया है, जहां नगर निगमों के साथ विकास प्राधिकरणों की जिम्मेदारी गड्ड-मड्ड होने के सबसे अधिक मामले हैं।

शहरी सुधारों के क्रम में यह कार्यसमूह विकास प्राधिकरणों के संदर्भ में बड़ा फैसला कर सकता है। सूत्रों के अनुसार पहले दौर की बैठक में कई सुझाव आए हैं, जिनमें प्रमुख है विकास प्राधिकरणों के कामकाज को नगर निगमों के दायरे में लाने की स्पष्ट व्यवस्था होना। इसके लिए नगर निगमों के अधिकार बढ़ाने होंगे।

एक सुझाव बड़े शहरों में क्षेत्रीय विकास प्राधिकरणों के गठन का है, जो आसपास के चार-पांच शहरों को मिलाकर एकीकृत प्लानिंग करेंगे। कार्यसमूहों के सदस्यों ने लगभग एक मत से यह स्वीकार किया है कि अधिकारों और जिम्मेदारियों को लेकर स्पष्ट और पारदर्शी व्यवस्था न होने के कारण ज्यादातर समस्याएं आती हैं। सदस्यों ने पूरे देश के उदाहरण गिनाते हुए कहा कि शहरों में सड़कों के रखरखाव जैसे बुनियादी काम भी इस अस्पष्टता के कारण नहीं हो पा रहे हैं।

विकास प्राधिकरणों के बीच टकराव जैसी स्थितिविशेषज्ञों ने एक अन्य सुझाव शहरों में प्लानिंग और डेवलपमेंट, दो अलग-अलग अथारिटी बनाने का भी दिया है। वर्तमान में विकास प्राधिकरणों का मुख्य काम शहरी नियोजन और नई योजनाएं लाना है, लेकिन ये अपना दखल छोड़ते नहीं हैं। इसके कारण कई पुराने इलाकों में भी सुविधाओं और रखरखाव को लेकर नगर निगमों और विकास प्राधिकरणों के बीच टकराव जैसी स्थिति रहती है।अगरतला के नगर आयुक्त शैलेश यादव को भी कार्यसमूह में शामिल किया

विकास प्राधिकरणों के कामकाज की समीक्षा के लिए गठित कार्य समूह में के संयोजक उत्तर प्रदेश के प्रधान सचिव (नगर विकास) अमृत अभिजीत हैं। उनके अतिरिक्त केरल की प्रधान सचिव शर्मिला मैरी जोसेफ और हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला के नगर आयुक्त जफर इकबाल और त्रिपुरा में अगरतला के नगर आयुक्त शैलेश यादव को भी कार्यसमूह में शामिल किया गया है। इनके अतिरिक्त मुजफ्फरनगर के नगर आयुक्त विक्रम विरकार को भी जगह दी गई है।

विशेषज्ञों के रूप में नेशनल हाईवे लाजिस्टिक मैनेजमेंट लि. के सीईओ प्रकाश गौड़ और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव समीर शर्मा कार्यसमूह में हैं। यह कार्यसमूह तीन महीने में अपनी रिपोर्ट देगा। इससे अपेक्षा की गई है कि विकास प्राधिकरणों जैसे संस्थानों के कामकाज के लिए एक मानक एसओपी तैयार करें।

केंद्र सरकार का मानना है कि राज्य सरकारों, शहरी स्थानीय निकायों और विकास प्राधिकरणों के बीच शक्तियों का बंटवारा स्पष्ट रूप से होना चाहिए तभी शहरों की दशा सुधर सकती है। इनके बीच सिर्फ अधिकारों और शक्तियों का ही बंटवारा नहीं होना चाहिए, बल्कि मिलकर काम करने के लिए एक मानक नियमावली का होना जरूरी है। इसी के तहत विकास प्राधिकरणों को शहरों के लिए योजनाएं बनाने के साथ निकायों को उनके क्रियान्वयन में मदद भी करनी होगी।

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