राजस्थान का पहला मामला: एक ही दिन में वसूली 307 करोड़ रूपए की बकाया पेनल्टी

Update: 2024-07-25 14:24 GMT

उदयपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में लंबित राजस्व प्रकरणों के निस्तारण को लेकर किए जा रहे विशेष प्रयासों के चलते खान एवं भू विज्ञान विभाग से जुड़े एक लंबित प्रकरण में गुरूवार को एक ही दिन में तकरीबन 307 करोड़ रूपए की बकाया पेनल्टी वसूल कर राजकोष में जमा कराई गई। खान विभाग के इतिहास में यह राजस्थान का पहला मामला है, जब इतनी बड़ी रकम एक दिन में वसूल की गई है।

मुख्यमंत्री शर्मा के निर्देश पर खान एवं भूविज्ञान विभाग की शासन सचिव श्रीमती आनंदी एवं निदेशक भगवतीप्रसाद की ओर से विभाग से जुड़े लंबित राजस्व प्रकरणों के निस्तारण को लेकर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड़ के खनन पट्टे पर अनुमोदन से अतिरिक्त खनन करने के मामले में 4 साल से प्रकरण सर्वाेच्च न्यायालय में लंबित था। अतिरिक्त खनन पर विभाग ने नियमानुसार पेनल्टी लगाई थी, लेकिन संबंधित इकाई ने इस पर न्यायालय से स्थगन ले रखा था। उच्चाधिकरियों के निर्देशन में विभाग के अतिरिक्त निदेशक जोन उदयपुर श्री दीपक तंवर लगातार इसमें प्रभावी पैरवी के लिए प्रयासरत थे। न्यायालय से स्थगन हटते ही विभाग ने बकाया पेनल्टी वसूल कर ली।

यह है मामला:

खान एवं भूविज्ञान विभाग उदयपुर जोन के अतिरिक्त निदेशक दीपक तंवर ने बताया कि यह पूरा प्रकरण इंडियन ब्यूरो ऑफ माइन्स की अनुमोदित खनन योजना के तहत हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड के राजसमंद स्थित खनन पट्टे से जुड़ा है। संबंधित खनन पट्टे से 25 लाख टन उत्पादन का अनुमोदन था, इसके विरूद्ध 29.68 लाख टन का उत्पादन किया गया। नियमानुसार अनुमोदित खनन योजना में अनुमोदन से अधिक खनन करने पर उसे अवैध खनन मानते हुए कॉस्ट ऑफ मिनरल वसूल की जाती है। सर्वाेच्च न्यायालय ने वर्ष 2017 में दिए कॉमन जजमेंट में अनुमोदन से अधिक खनन पर अतिरिक्त खनन की 100 प्रतिशत कॉस्ट पेनल्टी के रूप में वसूल किए जाने के आदेश दिए थे। श्री तंवर ने बताया कि लैड एवं जिंक की कॉस्ट का एसेसमेंट लंदन मेटल एक्सचेंज प्राइज के आधार पर किया जाता है। इकाई द्वारा किए गए कुल अतिरिक्त खनन 4.68 लाख टन का एसेसमेंट करने पर यह राशि लगभग 311.96 करोड़ आंकी गई। हिन्दुस्तान जिंक ने इनमें से 4.98 करोड़ की राशि वर्ष 2020 में जमा कराई गई, लेकिन शेष राशि पर न्यायालय से स्थगन ले लिया था।

राशि राजकोष में जमा:

तंवर ने बताया कि स्थगन हटाने को लेकर सरकार ने प्रकरण को रिवीजन ले रखा था। गुरूवार को सर्वाेच्च न्यायालय में करीब 2 घंटे तक इस विषय पर बहस चली। सरकार की ओर से अधिवक्ता ने सभी तथ्य प्रस्तुत किए। इस पर न्यायालय ने स्थगन हटाने के आदेश दिए। न्यायालय के आदेश के तत्काल बाद विभाग ने संबंधित इकाई पर बकाया पेनल्टी 306.98 करोड़ चार्ज करते हुए उसके खाते से राशि वसूल कर राज कोष में जमा करा दी है।

Similar News