पार्सल का खेल: पुलिस व आरटीओ जानकर भी अनजान!: चंद रुपयों के लालच में टैक्स चोरी, यात्रियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़

Update: 2024-05-08 12:06 GMT

भीलवाड़ा। निजी यात्री बसों में धडल्ले से व्यावसायिक पार्सल विभिन्न शहरों ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों में भी बेरोकटोक भेजे व लाए जा रहे हैं। पुलिस व आरटीओ द्वारा इस संबंध में बस संचालकों या जिम्मेदार लोगों को पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। जानकारों की माने तो शहर से प्रतिदिन बड़ी संख्या में बसे अहमदाबाद, वडोदरा, मुंबइत्न व पड़ोसी मध्यप्रदेश के विभिन्न शहरों और कस्बों लिए निकलती है। इन बसों में यात्रियों के साथ-साथ व्यावसायिक पार्सल भी लाए व ले जाए जाते हैं। जिनमें विभिन्न तरह का सामान होता है। बस चालक सिर्फ बस की डिक्कियां ही नहीं भरते, बल्कि सीटों के नीचे और बस की पूरी छत पर भी पार्सल लाद कर ओवरलोडिंग के नियमों का उलंघन करते है। कई बार तो सीटों के बीच आने जाने की जगह में भी पार्सल फसा दिए जाते हैं। पार्सलों में मौजूद सामान की भी जांच नहीं होती। ऐसे में अत्यंत ज्वलनशील या अन्य किसी तरह के खतरनाक पदार्थ व ओवरलोडिंग से लंबी दूरी की इन बसों में यात्रियों की जान जोखिम में रहती है। दुर्घटना का खतरा हमेशा बना रहता है। इस तरह की कोताही की वजह से यात्री हादसे का शिकार होते हैं। पहले भी कई जगहों से इस प्रकार की घटनाओं की जानकारी सामने आई है।

यात्री बस में इलेक्ट्रानिक, मोबाइल एसेसरीज, मेडिकल उपकरण, सौंदर्य सामग्री, जड़ी बूटी, सूखे मेवा, किराना का सामान आदि को एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश पहुंचाया जा रहा है। स्थिति यह है कि बिना किसी प्रपत्र के लाखों रुपए के सामान को यहां लाया जा रहा है। मंगलवार सुबह भी लैंडमार्क होटल के निकट अजमेर मार्ग की तरफ से आई लंबी दूरी की एक ट्रेवल्स से बड़ी मात्रा में इलेक्ट्रोनिक उपकरण उतरते दिखाई दिए, जिसे भीलवाड़ा हलचल ने अपने कैमरे में कैद किया।

जानकर भी अनजान जिम्मेदार:

बसों में नियमों के विरुद्ध ओवरलोडिंग कर सामान की हेराफेरी कोई चोरी छिपे नहीं होती, बल्कि धड़ल्ले से होती है। पुलिस व आरटीओ जान कर भी अनजान बने रहते हैं। निजी बस संचालकों ने बकायदा पार्सल बुकिंग सेन्टर खोल पार्सल के गोदाम बना रखे हैं। छतों पर सामान लादे ये बसें शहर के विभिन्न मुख्य मार्गो व हाइवे से गुजरती है। अपने लंबे सफर में कई थाना क्षेत्रों व आरटीओ कार्यालयों की सीमा क्षेत्र से गुजरती है, लेकिन कहीं कोई रोक-टोक नहीं होती है। इतना ही नहीं, अन्य राज्यों में जाने वाली बसें पडौसी राज्यों की सीमा पर बनी आरटीओ की विभिन्न चैकपोस्ट से गुजरती है। इन चैकपोस्ट पर 24 घंटे आरटीओ स्टॉफ मौजूद रहता है। फिर भी यह सिलसिला जारी है। सूत्रों की माने तो निजी बसों में पार्सलों की माल ढुलाई पुलिस व आरटीओ की मिलीभगत से ही होती है।

जीएसटी के बाद बढ़ी हेराफेरी:

सूत्रों की माने तो बसों में भेजे गए पार्सल संबंधित कारोबारियों को जल्दी मिल जाते हैं। प्रदेश के विभिन्न शहरों में पड़ोसी राज्यों के विभिन्न शहरों में बसों से जो पार्सल भेजे जाते हैं, वे अगले दिन ही कारोबारियों को मिल जाते हैं। जबकि ट्रांसपोर्ट में भेजे गए पार्सल देरी से मिलते हैं। इस वजह से बसों में पार्सलों की हेराफेरी तो लंबे समय हो रही है, लेकिन जीएसटी के बाद यह और बढ़ गई है। क्योंकि इसके जरिए कारोबारी जीेएसटी चुकाने से भी बच जाते हैं। वे जीएसटी के साथ बड़े पार्सल ट्रांसपोर्ट में भेजने के बदले छोटे-छोटे पार्सल बसों में भेजते है और जीएसटी से भी बच जाते हैं। इससे निजी बस संचालकों को भी दोहरा फायदा होता है। यात्रियों के साथ पार्सलों का किराया भी मिल जाता है।

माल उतराने के लिए बने हैं प्वाइंट:

ट्रैवल्स संचालक भी टैक्स चोरी का माल प्रशासन की नजर से बचाने के लिए अधिकांश माल रात में ही उतारते हैं। इसके साथ ही माल उतारने व चढ़ाने के लिए संचालक अपने आफिसों से कुछ दूरी पर प्वाइंट बनाए हैं, फिर बाद में सवारियां चढ़ाई और उतारी जाती हैं। हालांकि माल की बुकिंग इन्हीं आफिसों से होती है, बसों के आने से कुछ समय पहले ही माल को मंगाया जाता है।

इन प्रदेशों से आता है टैक्स चोरी का माल:

सूत्रों की मानें तो इन बसों से सबसे ज्यादा दिल्ली, अहमदाबाद, राजकोट, सूरत, मुंबई, इंदौर आदि शहरों से जिले में टैक्स की चोरी का माल लाया व ले जाया जाता है। यहां से प्रतिदिन बसें रात में या सुबह जल्दी आती है, जो इलेक्ट्रोनिक आइटम, गुटखा, पॉलिथीन, साडियां व रेडीमेड कपड़े, ऑटो पार्ट्स, मशीनें आदि उतारती हैं।

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