पंद्रह दिन में दो बछड़े कुत्तों के हमलों में हुए लहुलुहान: बेजुबान का बहता खून भी लाल है, इस पर पड़ेगी नजर!
भीलवाड़ा। लगता है शहर में जिम्मेदारों को बेजुबान जानवरो के खून की परवाह नहीं है, और न ही बेजुबानो के लिए झंडा उठाने का दिखावा करने वालो को कोई सहानुभूति है। कड़े शब्दों में ऐसा इसलिए लिखना पड रहा है क्योकि बीते पंद्रह दिन में गोवंश पर आवारा कुत्तो द्वारा हमला कर उन्हें लहूलुहान किये जाने की शहर में दो घटनाये सामने आ चुकी है। लेकिन इन बेजुबानो के बहते लाल खून को देखकर भी नजर अंदाज किया जा रहा है। हो सकता है किसी इंसानी खून को देखकर ही शायद उनका दिल पसीजेगा।
शहर में आवारा कुत्तों का आतंक दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। शहर में कई स्थानों पर अक्सर आवारा कुत्तों के झुंडों को बैठे देखा जा सकता है। आलम यह है कि आवारा कुत्तों से परेशान होकर लोग सुबह व देर रात को घरों से निकलने से भी कतराने लगे हैं।
वस्त्रनगरी में आवारा कुत्तों का आतंक देखने को मिल रहा है। वैसे हम आए दिन कुत्तों के हमले में घायल होने की खबर सुनते हैं। अधिकांशतया आवारा कुत्ते वाहन से जाने वालों पर हमला कर देते हैं। इसी बीच अब आवारा कुत्तों के आतंक को देखते हुए लोग कुछ गलियों से निकलना कम कर दे रहे हैं। शहर में शनिवार को एक बछड़े को कुत्तों द्वारा नोचने की खबर मिली, बाद में घायल बछड़े को गौग्रास रथ के माध्यम से रेस्क्यू किया गया एवं उपचार करवाया गया। अभी कुछ ही दिन शहर में सुभाषनगर बड़ी पुलिया के निकट रात में कुत्तों ने एक बछड़े को निशाना बनाकर लहुलुहान कर दिया। इसके अलावा रात में गुजरने वाले लोगों के पीछे पड़ते रहें, जिससे लोगों में दहशत है।
ये आवारा कुत्ते अक्सर आने-जाने वाले लोगों पर झपट पड़ते हैं कई बार ये आवारा कुत्ते एक दूसरे कुत्ते से लड़ते-लड़ते बीच सडक़ में भी आ जाते हैं। जिससे दोपहिया वाहन चालकों का इनमें उलझकर गिरने का खतरा बना रहता है। कई बार ये लोगों की बाइक या कार के पीछे भागते हैं।
कुत्तों पर परिषद का नहीं है ध्यान
इस सबके बावजूद भी नगर परिषद इन कुत्तों की समस्या से निजात दिलाने के लिए कोई विशेष कदम नहीं उठा रहा। यूं तो कुत्ते को सबसे वफादार जानवर माना जाता है, लेकिन अगर यह वफादारी भूल जाए तो जानलेवा हो सकता है शहर के अंदर ऐसी कोई गली और मोहल्ला नहीं जहां आवारा कुत्तों का आतंक न हो। शाम ढलने के बाद शहर के गली-मोहल्लों में पैदल या दुपहिया पर निकलना खतरे से खाली नहीं दोपहर में भी ये कुत्ते बच्चों को निशाना बनाने से नहीं चूकते।
बच्चों के बीच आवारा कुत्तों का खौफ
शहर के विभिन्न सडक़ों और मोहल्लों में इन कुत्तों का खौफ इस कदर छाया हुआ है कि लोग रात तो रात दिन में भी इनके झुंड को देखकर रास्ता बदल लेने में ही गनीमत समझते हैं। कुत्तों के आतंक से स्कूल जाने वाले छोटे बच्चों को सबसे अधिक खतरा है। लोगों ने प्रशासन से मांग करते हुए कहा की जल्द से जल्द इन आवारा कुत्तों की समस्या से निजात दिलाने के लिए ठोस से ठोस कदम उठाया जाए।