कमीशन के चक्कर में महात्मा गाँधी अस्पताल में मरीजों पर बाहर से जांचे करने का दबाव, हंगामा
भीलवाड़ा (राजकुमार-राजेश तोषनीवाल) । महात्मा गांधी अस्पताल में सोनोग्राफी की सुविधा होने के बावजूद चिकित्सक बाहरी लैबों से जांच कराने के लिए मरीजों पर दबाव बनाते हैं। इसके पीछे लैबों से मिलने वाला कमीशन वजह बताया जाता है। इसे लेकर आज हंगामा भी हुआ। अस्पतला अधीक्षक अरूण गौड ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मामले की जांच करा दोषी के खिलाफ 24 घंटे में कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
महात्मा गांधी अस्पताल में एक नहीं कई मशीने है लेकिन यहां की रिपोर्ट चिकित्सक मानने को तैयार नहीं है और मरीजों को बाहर लैब का रास्ता दिखा दिया जाता है। जिससे उन्हें वहां अच्छा खासा कमीशन भी मिलता है। ऐसा ही एक मामला आज देखने को मिला है। रविवार को पेट दर्द की शिकायत से मेडिकल वार्ड में भर्ती सविता तेली को नर्सिंगकर्मी सर्पराज ने बाहर से सोनोग्राफी कराकर लाने के लिए कहा। जब बाहर से नहीं कराइ तो सोमवार को फिर दबाव बनाते हुए कहा कि डाक्टर साहब का आदेश है बाहर से कराकर लाओ।
दूसरा एक मामला 15 मई का है कृष्ण गोपाल बलाई सीने में दर्द की शिकायत पर अस्पताल पहुंचे जहां चिकित्सक ने जांच के बाद कहा कि कुछ ब्लड की जांचे करानी होगी। वहीं बैठे एक दलाल के साथ बलाई को भेज दिया गया और बाहर रिलाएबल लैब पर दलाल लेकर पहुंचा और वहां जांचे कराई। तीसरा मामला कविता का है। इनको बाहर से सोनोग्राफी कराने के लिए कहा गया, इस बात की शिकायत कविता ने राजस्थान सरकार के पोर्टल पर भी की है।
यह तो उदाहरण मात्र है अस्पताल में सोनोग्राफी, सीटी स्केन, ब्लड जांचे अधिकांश बाहर से ही कराई जाती है। इसके पीछे तर्क यह दिया जाता है कि यहां की जांचे ठीक नहीं है। यहीं नहीं एक चिकित्सक तो एक तय मेडिकल स्टोर से दवाएं मंगाने के लिए मरीजों को भेजता है और वहां बिल तीन से पांच हजार रुपए से कम नहीं बनता है।
इस तरह की शिकायतों पर आज हिंदू संगठन के कई पदाधिकारी अस्पताल पहुंचे और वहां हंगामा किया और मांग की है कि अस्पताल में होने वाली जांचे बाहर से कराने वाले चिकित्सकों और नर्सिंगकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। बाद में हिंदू संगठन के पदाधिकारियो को अस्पताल अधीक्षक अरूण गौड ने मामले की निष्पक्ष जाँच करा दोषी के खिलापफ कार्रवाई करने का आश्वासन दिया तब जाकर मामला शांत हुआ।