लाखों हिंदुओं को लेकर हिंदू एकता यात्रा पर निकल पड़े बाबा बागेश्वर
छतरपुर । मध्य प्रदेश के छतरपुर स्थित बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने गुरुवार से 'हिंदू एकता यात्रा' का आगाज किया है। लाखों अनुयायियों के साथ धीरेंद्र शास्त्री ने बागेश्वर धाम के बालाजी मंदिर में दर्शन के बाद 9 दिन की पद यात्रा का आगाज किया है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अब तक छतरपुर से ओरछा तक 1 किलोमीटर की यात्रा की हैं। रोजाना करीब 20 किलोमीटर पद यात्रा करेंगे, ये पदयात्रा 29 नवंबर यानि 9 दिन तक चलेगी। एक दिन पहले ही बागेश्वर धाम में लाखों लोग उमड़ पड़े। बाबा बागेश्वर का कहना है कि वह हिंदुओं को एकजुट करने के मकसद से यह यात्रा निकाल रहे हैं। उनका कहना है कि हिंदुओं के बीच बीच मौजूद जाति भेदभाव, छुआछूत, अगड़े और पिछड़े का फर्क मिटाने का संदेश इस यात्रा से दिया जाएगा। वह 9 दिन तक पैदल चलते हुए लोगों के साथ ओरछा तक पहुंचेंगे। ओरछा धाम में 29 नवंबर को यात्रा संपन्न होगी।
यात्रा मध्य प्रदेश के अलावा यूपी के मऊरानीपुर जिले से भी गुजरेगी। बागेश्वर धाम की ओर से बताया गया है कि यात्रा में देश-विदेश से लाखों लोग शामिल हो रहे हैं। हाथी, घोड़े और भव्य झांकी के साथ लाखों लोग यात्रा के साथ ओरछा तक पैदल यात्रा करेंगे। एकता को लेकर कुछ नारे दिए गए हैं- बागेश्वर सरकार ने ठाना है, भारत को भव्य बनाना है। भेदभाव और छुआछूत को, देखो अब जड़ से मिटाना है। सोए हुए हिंदुओं को जगाना है, जात पात को मिटाना है। समाज जगाओ, भेदभाव मिटाओ। जात पात से तोड़ो नाता, सबके दिल में हो भारत माता। हिंदू हिंदी और हिन्दुस्तान, सब मिल करें देश का ध्यान। इस धरती से अपना नाता, हम सबकी है भारत माता।
यात्रा को लेकर पिछले दिनों एक इंटरव्यू में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से पूछा गया कि क्या हिंदुओं की एकता में कमी आ गई है जो उन्हें यह यात्रा निकालनी पड़ रही है? इसके जवाब में उन्होंने कहा, 'हिंदुओं में एकता की कमी ना होती तो आज वक्फ बोर्ड के पास साढ़े 8 लाख एकड़ जमीन कैसे होती, ना आई होती एकता की कमी तो तिरुपति बालाजी में प्रसाद में गाय की चर्बी कैसे मिलाई जाती? ना आई होती एकता में कमी तो राम मंदिर के लिए 500 सालों तक लड़ते? ना आई होती कमी तो क्या राजस्थान में कन्हैयालाल को ऐसे मारा जाता, पालघर में संतों की हत्या होती, इसलिए हमें लगता है कि हिंदुओं को जगाने की जरूरत है। पहले हमें अगड़े और पिछड़े की लड़ाई को मिटाना है।