सुविधाओं के अभाव में टीबी अस्पताल का भी फूल रहा है दम,: जिन मरीजों को चलने-फिरने की मनाई, उन्हें भी जाना पड़ रहा हैं जांच के लिए बाहर

By :  prem kumar
Update: 2025-01-27 09:20 GMT

 भीलवाड़ा बीएचएन। मुझे फेफड़े में दिक्कत है। फेफड़े से खून निकलता है। डॉक्टर ने चलने-फिरने के लिए मना किया है। फिर भी ब्लगम जमा कराने तो कभी एक्सरे करवाने या तो बाहर या जिला अस्पताल में जाना पड़ता है। कारण, यहां टीबी अस्पताल में न तो जांच की सुविधा है और न ही सफाई की व्यवस्था है। यहां आवश्यक उपकरण भी नहीं है।

यह पीड़ा है, मूल रूप से राजसमंद के आमेट और अभी रायपुर में रहने वाले कांतिलाल की । कांतिलाल पिछले चार दिन से यहां टीबी हॉस्पिटल में भर्ती है। यह पीड़ा अकेले कांतिलाल की नहीं, बल्कि यहां उपचार लेने आने वाले हर एक मरीज की है, जिन्हें उपचार के नाम पर यहां कोई सुविधा नहीं मिल रही है। कांतिलाल ने कहा कि टीबी अस्पताल की बिल्डिंग अंदर से भले ही अच्छी बन गई है, लेकिन यहां साफ-सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। लेट-बाथ में गंदगी पसरी है। परिसर में कचरे के ढेर लगे हैं। जांच की भी यहां कोई व्यवस्था नहीं है। उसे और उसके जैसे बाकी मरीजों को जांच करवाने दूर जाना पड़ता है। जांच की व्यवस्था होनी चाहिये। ताकि मरीजों को दर-दर भटकना ना पड़े। कांतिलान ने कहा कि ब्लगम की जांच के लिए बाहर भेजा जाता है। एक्सरे के लिए जिला अस्पताल जाना पड़ता है।

ऑक्सीजन भी नहीं

मरीजों का कहना है कि टीबी हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की व्यवस्था भी नहीं है। अगर कोई मरीज गंभीर स्थिति में आता है तो उसके लिए ऑक्सीजन की व्यवस्था भी यहां नहीं है। इसके अलावा व्हील चेयर भी टीबी हॉस्पिटल में नहीं है, जिससे मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

दीवार पर टांगते है ग्लोकोच की बोतल

टीबी हॉस्पिटल में ग्लोकोच की बोतल लगाने के लिए स्टैंड तक उपलब्ध नहीं है। यहां ग्लोकोच की बोतलों को भी दीवार पर टांग दिया जाता है। इसके चलते मरीज जरा भी हिल-डुुल नहीं सकता। अगर हिल जाये तो उसके हाथ से ड्रिप ही निकल जाती है।

तीमारदार भी हैं परेशान

टीबी रोगी अस्पताल में भर्ती है। उनके साथ परिजनों को भी मजबूरी में रहना पड़ता है। अस्पताल में जगह जगह गंदगी जमा है। यहां दवा और डॉक्टर तो मिल जाते हैं। मगर, अन्य सुविधाएं नहीं हैं। जिनकी सख्त जरूरत रहती है । ऐसे में मरीजों के परिजनों को भी खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। 

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